UltranewsTv | Updated : 08 January, 2025
इंसानों का स्वभाव है कि वे दूसरे मनुष्यों के साथ मिल-जुलकर रहें। एक-दूसरे के साथ अपने गम और खुशियां बांटे, लेकिन आजकल लोग एक-दूसरे से कटकर रहने लगे हैं। इस डिजीटल एज में लोग अकेलेपन का आसानी से शिकार होने लगे हैं।
WHO के मुताबिक, दुनियाभर में लगभग 25% बुजुर्गों और 5%-15% टीनेजर्स अकेलेपन से जूझ रहे हैं। ये आंकड़े इसलिए चिंता का कारण हैं, क्योंकि अकेलेपन की वजह से बीमारियों और मौत का खतरा काफी बढ़ जाता है।
अकेलापन एक ऐसी भावना है जो हमें अंदर से खोखला कर सकती है। यूनिवर्सिटी ऑफ कैम्ब्रिज और फूडान यूनिवर्सिटी ने एक स्टडी नेचर ह्यूमन बिहेवियर में पब्लिश की। इस स्टडी में हमारे जीन्स में मौजूद प्रोटीन के बारे में समझने की कोशिश की गई।
स्टडी में पाया गया कि 5 तरह के खास प्रोटीन अकेलेपन की भावना से जुड़े हैं। यानी जिन लोगों को ज्यादा अकेलापन महसूस होता है, उनमें इन प्रोटीन्स की मात्रा भी ज्यादा होती है। इतना ही नहीं, ये प्रोटीन सूजन बढ़ाते हैं और इम्युनिटी पर भी असर डालते हैं।
अकेलापन डिप्रेशन का सबसे बड़ा कारण है। जब हम अकेले होते हैं तो हम ज्यादा निराश महसूस करते हैं।
अकेलापन एंग्जायटी को बढ़ावा देता है। हम अकेलेपन में भविष्य के बारे में चिंतित रहते हैं और हमारी चिंता बढ़ती जाती है।
लंबे समय तक अकेले रहने से लोग दूसरों से बात करने में कतराने लगते हैं और वे सामाजिक रूप से अलग-थलग पड़ जाते हैं।
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