केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने 10वीं कक्षा के छात्रों के लिए एक बड़ा और छात्र-हितैषी फैसला लिया है। साल 2026 से, 10वीं की बोर्ड परीक्षाएँ साल में दो बार आयोजित की जाएँगी, जिससे छात्रों को अपने प्रदर्शन में सुधार करने का अभूतपूर्व अवसर मिलेगा। यह कदम राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 की सिफारिशों के अनुरूप है, जिसका मुख्य उद्देश्य छात्रों पर से परीक्षा का दबाव कम करना और उन्हें सीखने के अधिक मौके देना है।
CBSE के परीक्षा नियंत्रक संयम भारद्वाज ने बुधवार (25 जून 2025) को इस बड़े बदलाव की पुष्टि की है। नए नियमों के अनुसार:
दो चरण में परीक्षा: 10वीं की बोर्ड परीक्षाएँ अब दो चरणों में होंगी।
सुधार का अवसर: छात्र अपनी पसंद के किन्हीं तीन विषयों (विज्ञान, गणित, सामाजिक विज्ञान और दो भाषाओं में से) में अपने स्कोर को बेहतर बनाने के लिए दूसरे चरण की परीक्षा दे सकेंगे। यदि छात्र पहले चरण के अपने स्कोर से संतुष्ट हैं, तो उन्हें दूसरे चरण में बैठने की आवश्यकता नहीं होगी। छात्रों को दोनों परीक्षाओं में से अपने सर्वश्रेष्ठ स्कोर को अंतिम मानाने की सुविधा मिलेगी।
आंतरिक मूल्यांकन: आंतरिक मूल्यांकन (Internal Assessment) साल में केवल एक बार ही किया जाएगा, जो पहली बोर्ड परीक्षा से पहले होगा।
शीतकालीन स्कूलों के लिए विशेष प्रावधान: शीतकालीन क्षेत्रों में स्थित स्कूलों के 10वीं कक्षा के छात्रों को किसी भी चरण में बोर्ड परीक्षा में बैठने का विकल्प मिलेगा।
यह फैसला छात्रों के लिए कई मायनों में गेम-चेंजर साबित हो सकता है:
यह निर्णय राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की प्रमुख सिफारिशों में से एक है, जिसमें कहा गया था कि बोर्ड परीक्षाओं के 'हाई-स्टेक' पहलू को कम करने के लिए, छात्रों को एक शैक्षणिक वर्ष में दो बार परीक्षा देने की अनुमति दी जानी चाहिए। CBSE इस बदलाव को 2026 के शैक्षणिक सत्र से लागू करने की योजना बना रहा है। भविष्य में 12वीं कक्षा के लिए भी इसी तरह के प्रावधानों पर विचार किया जा सकता है, हालांकि अभी इसकी कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।
यह CBSE का एक प्रगतिशील कदम है जो भारतीय शिक्षा प्रणाली को अधिक छात्र-केंद्रित और लचीला बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा।