जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले में 25 पर्यटक और एक स्थानीय नागरिक की मौत हो गई थी। इस घटना से न केवल मानवता को ठेस पहुँची, बल्कि जम्मू-कश्मीर की पर्यटन-निर्भर अर्थव्यवस्था को भी बड़ा नुकसान हुआ। अपनी सुंदरता और मेहमाननवाजी के लिए मशहूर कश्मीर अचानक डर और चिंता का केंद्र बन गया। देशभर में यह सवाल उठने लगा कि क्या अब पर्यटक फिर से घाटी का रुख करेंगे? क्या कश्मीर फिर से पहले जैसा सुरक्षित और शांत हो पाएगा? इसी सोच के साथ जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने घाटी में फिर से विश्वास और सुरक्षा का माहौल बनाने के प्रयास तेज़ कर दिए हैं।
इन प्रयासों के तहत, देशभर से 60 टूर ऑपरेटरों का एक प्रतिनिधिमंडल 'एकजुटता यात्रा' पर कश्मीर पहुँचा है। महाराष्ट्र के पर्यटन क्षेत्र से जुड़े अभिजीत पाटिल के नेतृत्व में यह दल घाटी पहुँचा और उन्होंने पहलगाम में मुख्यमंत्री से मुलाकात की। पाटिल ने बताया कि यह यात्रा केवल पर्यटन को फिर से जीवित करने की पहल नहीं है, बल्कि कश्मीर के लोगों के साथ खड़े होने का प्रतीक भी है।
पाटिल ने कहा, "हमने देखा कि हमले के बाद स्थानीय लोगों ने किस तरह इसकी कड़ी निंदा की। इसी भावना से प्रेरित होकर हमने यह यात्रा की। शुरुआत में 10-12 टूर ऑपरेटर थे, लेकिन आज हम 60 लोग हैं। यह दिखाता है कि पूरे देश के ट्रैवल उद्योग का समर्थन हमारे साथ है।"
मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने पहलगाम में कैबिनेट बैठक में भाग लेने के बाद एक साइकिल रैली के ज़रिए "कश्मीर सुरक्षित है" का संदेश दिया। उन्होंने घाटी के भीतर और बाहर के पर्यटन हितधारकों से सीधी बातचीत की और भरोसा दिलाया कि सरकार पर्यटन के लिए हर ज़रूरी कदम उठाएगी।
सरकार ने हमले में मारे गए लोगों की याद में बैसरन मैदान में एक स्मारक बनाने की योजना भी बनाई है। साथ ही, आने वाले महीनों में देशभर में होने वाले प्रमुख ट्रैवल फेयर, खासकर टीटीएफ कोलकाता और अहमदाबाद में भाग लेने की रणनीति बनाई जा रही है, ताकि पर्यटन को फिर से गति मिल सके।
मुख्यमंत्री ने उम्मीद जताई कि अमरनाथ यात्रा के शांतिपूर्ण आयोजन के साथ घाटी में फिर से सैलानियों की चहल-पहल लौटेगी। सरकार का मकसद अब सिर्फ पर्यटकों को वापस लाना नहीं है, बल्कि घाटी को फिर से भरोसे और सौहार्द का केंद्र बनाना है।∎