अमरीश पुरी - Amrish Puri

अमरीश पुरी भारतीय सिनेमा के सबसे प्रतिष्ठित और यादगार खलनायकों में से एक थे। उन्होंने हिंदी फिल्मों के साथ-साथ हॉलीवुड में भी अपनी दमदार मौजूदगी दर्ज करवाई। उनकी गूंजती हुई आवाज़, प्रभावशाली व्यक्तित्व और बेजोड़ अभिनय ने उन्हें विलेन की भूमिकाओं में अमर बना दिया।

जन्म और प्रारंभिक जीवन

अमरीश पुरी का जन्म 22 जून 1932 को पंजाब के नवांशहर (अब शाहिद भगत सिंह नगर) जिले में हुआ था। उनके पिता का नाम लाला निहाल चंद और माता का नाम वेद कौर था। उनके बड़े भाई मदन पुरी भी एक प्रसिद्ध अभिनेता थे। अमरीश पुरी ने शिमला के बी.एम. कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई की थी।

फिल्मी करियर की शुरुआत

अमरीश पुरी ने अपने करियर की शुरुआत थिएटर से की थी और भारतीय नाट्य संस्था (NSD) से जुड़े रहे। उन्हें पहली बार 1971 में फिल्म ‘रेशमा और शेरा’ में एक छोटा सा रोल मिला। हालांकि शुरुआती दौर में उन्हें ज्यादा सफलता नहीं मिली, लेकिन धीरे-धीरे वे सशक्त खलनायक की भूमिका में स्थापित हो गए।

प्रमुख फिल्में और किरदार

अमरीश पुरी ने 400 से अधिक फिल्मों में काम किया। उन्होंने न केवल विलेन के रूप में, बल्कि सहायक और चरित्र भूमिकाओं में भी शानदार अभिनय किया। उनके कुछ प्रसिद्ध किरदार:

  • मोगैम्बो (मिस्टर इंडिया, 1987) – "मोगैम्बो खुश हुआ!" यह संवाद आज भी यादगार है।
  • ठाकुर दुर्जन सिंह (करण अर्जुन, 1995)
  • बालवंत राय (घायल, 1990)
  • भैरव सिंह (नायक, 2001)
  • चौधरी बलदेव सिंह (दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे, 1995) – इसमें उन्होंने एक सख्त लेकिन संवेदनशील पिता का किरदार निभाया।

हॉलीवुड में भी उन्होंने "Indiana Jones and the Temple of Doom" (1984) में मोलाराम की भूमिका निभाई थी।

अदाकारी की विशेषताएं

अमरीश पुरी की गहरी आवाज, प्रभावशाली संवाद अदायगी और खलनायक की भूमिका में उनकी पकड़ ने उन्हें अन्य अभिनेताओं से अलग बनाया। वे स्क्रीन पर आते ही दर्शकों पर छा जाते थे।

पुरस्कार और सम्मान

  • उन्हें फिल्मफेयर अवॉर्ड फॉर बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर सहित कई पुरस्कार मिले।
  • उन्हें नाट्य जगत में भी कई सम्मान प्राप्त हुए।

निजी जीवन

अमरीश पुरी ने उर्मिला देवी से विवाह किया था और उनका एक बेटा राजीव पुरी है। वे एक पारिवारिक व्यक्ति थे और अभिनय के अलावा थिएटर से भी हमेशा जुड़े रहे।

निधन

अमरीश पुरी का निधन 12 जनवरी 2005 को ब्रेन हैमरेज के कारण हुआ। उनके निधन से बॉलीवुड ने एक महान कलाकार को खो दिया।

अमरीश पुरी भले ही अब इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनके निभाए गए किरदार आज भी दर्शकों के दिलों में जीवित हैं। वे सिर्फ एक अभिनेता नहीं, बल्कि एक संस्था थे जिन्होंने खलनायकी को एक नई पहचान दी।