स्कूल में फेल होने वाली सुनीता विलियम्स क्या अंतरिक्ष मिशन में हो पायेंगी पास?

स्कूल में फेल होने वाली सुनीता विलियम्स क्या अंतरिक्ष मिशन में हो पायेंगी पास?  Will Sunita Williams, who failed in school, be able to pass the space mission?

भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स बोइंग के स्टारलाइनर अंतरिक्ष यान में सवार होकर इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) अंतरिक्ष में बीते तीन हफ्तों से फंसी हुई हैं। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा सुनीता और उनके सहयोगी बुच विलमोर की सकुशल वापसी की तमाम कोशिशें कर रही है। 5 जून को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर पहुंचने के बाद अंतरिक्ष यान में हीलियम की लीकेज की समस्या आई थी। साथ ही इसके 5 थ्रस्टर भी खराब हो गए थे। यहां तक कि यान को बिजली देने वाला सर्विस मॉड्यूल में भी दिक्कतें आई हैं। 

क्या है अंतर्राष्ट्रीय स्पेस स्टेशन?

  • स्पेस स्टेशन पृथ्वी से 300 कि0 मी0 की दुरी पर स्थित होते है।
  • स्पेस स्टेशन 24 घंटे में 16 बार पृथ्वी का चक्कर लगाता है।
  • स्पेस स्टेशन में 6 अंतरिक्ष यात्री एक बार में जा सकते हैं।
  • बीते 20 सालों में लगभग 240 अंतरिक्ष यात्री जा चुकें हैं।
  • 6 बैडरूम वाले घर जैसा है यह स्पेस स्टेशन।    

क्या होते हैं थ्रस्टर?

वैज्ञानिकों के अनुसार सुनीता और उनके सहयोगी जिस स्पेसक्रॉफ्ट से इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पहुंचे हैं, यह स्पेस स्टेशन अमेरिका और रूस की संयुक्त कोशिश का नतीजा है। जिस कैप्सूल से अंतरिक्ष यात्रियों को वहां भेजा जाता है, उसे भेजने के लिए थ्रस्टर्स का यूज करते हैं। थ्रस्टर्स मिनी रॉकेट होते हैं, जिन्हें फायर किया जाता है। हीलियम गैस रॉकेट के टैंक को प्रेशराइज्ड किया जाता है और जरूरत के मुताबिक दबाव के अनुसार ये फायर किया जाता है। हीलियम को हाई प्रेशर पर रखा जाता है।  

एक्सपर्ट के अनुसार “यदि हीलियम महीने भर भी लीक होती है तो भी मिशन में खराबी नहीं आ सकती। ये लीकेज 10 हजार लीटर में चंद बूंदों जितनी होती हैं, जिनके निकलने पर यान में ज्यादा फर्क नहीं पड़ता है। लेकिन अगर ये ज्यादा समय के लिए होता है तो समस्या हो सकती है।

कितने सुरक्षित हैं सुनीता और उनके सहयोगी?

ISS पर मौजूदा वक्त में 8 कैप्सूल डॉक किया जा सकता है। अभी वहां पर रूस का ही कैप्सूल मौजूद है, जो इमरजेंसी में काम आता है। पहले अमेरिका का भी कैप्सूल होता था। मगर, अभी सारे कैप्सूल रूस के ही हैं। ये कैप्सूल स्टेशन पर डॉक हैं। अगर खराब से खराब स्थिति आती है तो रूस का कैप्सूल वहां पर है, जिससे एकसाथ 5 अंतरिक्ष यात्री धरती पर लौट सकते हैं। 5 यात्री स्टेशन पर थे, जबकि सुनीता और बुच के आने से स्टेशन पर 7 यात्री हो गए हैं।

क्या अमेरिका लेगा रूस की मदद?

एक वक्त में स्टेशन पर ऐसे 8 पोर्ट हैं, जहां कैप्सूल लगा सकते हैं। अभी की तारीख में दो कैप्सूल हैं, जिसमें से एक रूस का है। चूंकि अमेरिका और रूस के बीच संबंध अच्छे नहीं हैं, इसलिए अमेरिका अभी अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रहा है। अमेरिका के पास 45 से 72 दिन का समय है, जिसमें वो यान की खामी में सुधार कर सकता है। यह भी हो सकता है कि स्टारलिंक के पास भी आपात स्थिति के लिए एक कैप्सूल हो, जिसका अंतरिक्ष यात्रियों को धरती पर लाने में किया जा सकता है।

कितनी सुरक्षित है लैंडिंग?

अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन धरती से करीब 300 किलोमीटर की ऊंचाई पर है। जब कोई यान धरती से करीब 80 किलोमीटर की ऊंचाई पर धरती के वायुमंडल में एक खास गलियारे से एंट्री करता है, तभी वह सफलतापूर्वक धरती पर लौट पाएगा। इसमें जरा सी चूक से यान ब्रह्मांड में लौट जाएगा और उसका चक्कर लगाता रहेगा। इसे रीएंट्री कॉरिडोर कहा जाता है।

किन चुनौतियों का करना पड़ सकता है सामना 

स्पेस स्टेशन के मेनटेनेंस के लिए 2025 तक के एक एग्रीमेंट के अनुसार, हर 6 महीने में रूस को स्पेस स्टेशन पर कैप्सूल भेजना होता है। अगर अमेरिका अपनी कोशिश में नाकाम रहता है तो वह रूस से इस बारे में आग्रह कर सकता है। वह खाली कैप्सूल स्टेशन पर भेजेगा और यात्रियों को धरती पर लेकर आएगा। जब कैप्सूल को अनडॉक किया जाता है तो कम से 15-16 थ्रस्टर को एकसाथ फायर करना होगा। अनडॉक करने के लिए गैस से थ्रस्ट पैदा करते हैं, वो जब स्पेस स्टेशन से दूर चला जाता है तब थ्रस्टर्स का इस्तेमाल करते हैं। ऐसा नहीं करने पर अगर फायर कर दिया तो स्टेशन को नुकसान पहुंच सकता है। 

पृथ्वी पर उतरने की क्या है प्रक्रिया 

पृथ्वी पर प्रवेश करने के दौरान यान एक विशेष एंगल से प्रवेश करता है। यह एंगल 94.71 डिग्री से लेकर 99.80 डिग्री तक होता है। हर एंट्री एंगल से धरती के वातावरण में प्रवेश करने के बाद कैप्सूल का ऊपरी हिस्सा पूरा जल जाएगा और नीचे का हिस्सा, जिसमें यात्री रहते हैं वो पैराशूट से नीचे आ जाते हैं।