अखिल भारतीय हस्तशिल्प सप्ताह - All India Handicraft Week

Diksha Sharma
December 14, 2024
अखिल भारतीय हस्तशिल्प सप्ताह - All India Handicraft Week

अखिल भारतीय हस्तशिल्प सप्ताह (All India Handicraft Week), हर साल 8 से 14 दिसंबर के बीच मनाया जाता हैं। यह सप्ताह भारत भर में हस्तशिल्पों के प्रति जागरूकता बढ़ाने, उनके महत्व को रेखांकित करने, और हस्तशिल्पों पर ध्यान केंद्रित करने वाले भारतीयों का समर्थन करने के लिए मनाया जाता हैं। यह सप्ताह भारत के सभी राज्यों में मनाया जाता हैं।

भारत में हस्तशिल्प एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक धरोहर है। यह भारतीय समाज की विविधता और समृद्धि को दर्शाता है। हस्तशिल्प का अर्थ है हाथ से बनाए गए वस्त्र, आभूषण, और अन्य सामग्री। भारत में हस्तशिल्प की एक लंबी परंपरा है, जिसमें विभिन्न राज्य और क्षेत्र अपनी विशेष तकनीकों और शिल्पों के लिए प्रसिद्ध हैं।

भारत के विभिन्न हिस्सों में विभिन्न प्रकार के हस्तशिल्प पाए जाते हैं। जैसे:

  • कश्मीर का कश्मीरी शॉल: यह शॉल अपने बारीक कढ़ाई और उच्च गुणवत्ता के लिए जाना जाता है। इसे ऊन से बनाया जाता है और इसमें जटिल डिज़ाइन होते हैं।
  • राजस्थान का ब्लॉक प्रिंटिंग: राजस्थान में कढ़ाई और ब्लॉक प्रिंटिंग की कला बहुत प्रसिद्ध है। यहाँ के कपड़े रंग-बिरंगे और अनोखे डिज़ाइन के लिए जाने जाते हैं।
  • उड़ीसा का पट्टचित्र: यह एक पारंपरिक पेंटिंग शैली है, जिसमें धार्मिक और पौराणिक कथाओं को चित्रित किया जाता है। पट्टचित्र में प्राकृतिक रंगों का उपयोग किया जाता है।
  • गुजरात का कच्छ का कढ़ाई: कच्छ की कढ़ाई अपनी जीवंतता और रंगों के लिए प्रसिद्ध है। इसमें मिरर वर्क और विभिन्न प्रकार की कढ़ाई शामिल होती है।
  • मध्य प्रदेश का धूलिया: यहाँ की हस्तशिल्प में बांस और अन्य प्राकृतिक सामग्रियों का उपयोग कर विभिन्न प्रकार की वस्तुएं बनाई जाती हैं।

हस्तशिल्प न केवल भारतीय संस्कृति का हिस्सा है, बल्कि यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था का भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इससे लाखों कारीगरों को रोजगार मिलता है और यह उनके जीवन यापन का साधन बनता है।

सरकार और विभिन्न संगठनों द्वारा हस्तशिल्प को बढ़ावा देने के लिए कई कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। इसके अंतर्गत कारीगरों को प्रशिक्षण, विपणन सहायता और वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। 

इस प्रकार, भारत का हस्तशिल्प न केवल एक कला है, बल्कि यह हमारी संस्कृति, परंपरा और आर्थिक विकास का भी प्रतीक है। 

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