यह घटना अत्यंत दर्दनाक है। महाराष्ट्र के परभणी (Pathri–Selu रोड) में मंगलवार, 15 जुलाई की सुबह लगभग 6:30 बजे, एक 19 वर्षीय महिला—ऋतिका ढेरे—जो अपने साथी अल्ताफ शेख के साथ पुणे से परभणी जा रही थी, चलती स्लीपर बस में प्रसव पीड़ा से बच्चे को जन्म देती है। लेकिन जन्म के कुछ ही पल बाद, इस जोड़े ने नवजात शिशु को कपड़े में लपेटकर बस की खिड़की से बाहर फेंक दिया, जिससे बच्चे की मौत हो गई।
यह घटना मानवता, नैतिकता और संवेदनशीलता की सीमाओं को चुनौती देती है। साथ ही यह प्रश्न खड़ा करती है कि ऐसे समय में तत्काल चिकित्सीय सहायता कपूर होनी चाहिए थी। महाराष्ट्र सरकार और स्थानीय प्रशासन द्वारा इसमें कौन-कौन से कदम उठाए गए, यह आगे की जांच और रिपोर्टिंग से ही स्पष्ट होगा।
आप इसे लेकर चिंता जता सकते हैं, या यदि आपको इसके कानूनी, समाजशास्त्रीय या मनोवैज्ञानिक पहलुओं में जानकारी चाहिए तो मैं सहायता कर सकता हूँ।