राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) आज (10 जून, 2025) अपना 25वां स्थापना दिवस मना रही है, और इस अवसर पर पार्टी के संस्थापक शरद पवार भावुक नज़र आए। यह दिन ऐसे समय में आया है जब NCP दो अलग-अलग धड़ों में बंटी हुई है – एक का नेतृत्व शरद पवार कर रहे हैं, जबकि दूसरे का उनके भतीजे और महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार। दोनों गुटों द्वारा पुणे में अलग-अलग स्थापना दिवस समारोह आयोजित किए जा रहे हैं, लेकिन राजनीतिक गलियारों में यह सवाल फिर उठ खड़ा हुआ है कि क्या ये दोनों धड़े भविष्य में एक साथ आ सकते हैं?
एनसीपी (शरदचंद्र पवार) प्रमुख शरद पवार ने स्थापना दिवस के मौके पर पार्टी के संघर्षों और विभाजन के दर्द को याद करते हुए भावुकता व्यक्त की। हालांकि उनके सीधे बयानों में एकता का स्पष्ट आह्वान नहीं था, लेकिन राजनीतिक विश्लेषक इसे उनके अंदर की वेदना और परिवार व पार्टी को एकजुट देखने की इच्छा से जोड़ रहे हैं।
हाल के दिनों में, दोनों पवार गुटों के नेताओं और यहां तक कि परिवार के सदस्यों के बीच भी मेल-मिलाप की खबरें सामने आई हैं। सुप्रिया सुले (शरद पवार की बेटी) ने भी हाल ही में अजित पवार को अपना 'भाई' बताया था और कहा था कि पार्टी के एकीकरण का फैसला शरद पवार ही लेंगे। वहीं, अजित पवार गुट के कुछ नेताओं ने भी परोक्ष रूप से एकता की ज़रूरत पर ज़ोर दिया है, हालांकि उनके गुट के प्रदेश अध्यक्ष सुनील तटकरे ने किसी औपचारिक प्रस्ताव से इनकार किया है।
एनसीपी की स्थापना 10 जून, 1999 को शरद पवार, पी.ए. संगमा और तारिक अनवर द्वारा कांग्रेस से अलग होने के बाद की गई थी। जुलाई 2023 में, अजित पवार ने अपने समर्थक विधायकों के साथ शरद पवार से बगावत कर दी और महाराष्ट्र में बीजेपी-शिंदे सरकार में शामिल हो गए। बाद में चुनाव आयोग ने अजित पवार के गुट को ही 'असली एनसीपी' की मान्यता दे दी, जिससे शरद पवार को अपनी पार्टी का नाम बदलकर 'राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार)' करना पड़ा।
हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनावों में, शरद पवार के नेतृत्व वाले गुट ने अजित पवार गुट की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया था, खासकर बारामती जैसी सीटों पर, जहाँ सुप्रिया सुले ने अजित पवार की पत्नी सुनेत्रा पवार को हराया था। इसके बाद से ही दोनों खेमों के बीच संभावित सुलह की अटकलें तेज़ हो गई हैं।
यह स्थापना दिवस महाराष्ट्र की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ पर आया है, जहाँ नेता और कार्यकर्ता उत्सुकता से देख रहे हैं कि क्या पवार परिवार के दोनों धड़े अंततः एकजुट होंगे या अपनी-अपनी राह पर आगे बढ़ेंगे।∎