भारतीय सेना को मिलेगा अत्याधुनिक QRSAM एयर डिफेंस सिस्टम, ₹30,000 करोड़ की डील जल्द; 'आत्मनिर्भर भारत' का बड़ा कदम

Harsh
June 10, 2025
भारतीय सेना को मिलेगा अत्याधुनिक QRSAM एयर डिफेंस सिस्टम, ₹30,000 करोड़ की डील जल्द; 'आत्मनिर्भर भारत' का बड़ा कदम

भारतीय सेना अपनी हवाई सुरक्षा क्षमताओं को अभूतपूर्व स्तर तक बढ़ाने की तैयारी में है। रक्षा मंत्रालय जल्द ही स्वदेशी रूप से विकसित क्विक रिएक्शन सरफेस-टू-एयर मिसाइल (QRSAM) सिस्टम की खरीद के लिए एक बड़े सौदे को हरी झंडी दे सकता है। अनुमानित ₹30,000 करोड़ की इस डील से सेना को तीन रेजीमेंट QRSAM सिस्टम मिलेंगे, जो दुश्मन के हवाई मंसूबों को नाकाम करने में बेहद प्रभावी साबित होंगे।

QRSAM: DRDO की दशकों की मेहनत का परिणाम

QRSAM का विकास रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा कई वर्षों की कड़ी मेहनत और गहन अनुसंधान का परिणाम है। इस परियोजना पर 2010 के दशक की शुरुआत से काम चल रहा था, जिसका लक्ष्य भारतीय सेना के लिए एक ऐसा एयर डिफेंस सिस्टम बनाना था जो तेज़ी से तैनात हो सके और बदलते युद्ध परिदृश्य में प्रभावी हो।

DRDO ने इस सिस्टम को भारतीय सेना की विशिष्ट ज़रूरतों को ध्यान में रखकर विकसित किया है। यह 'आत्मनिर्भर भारत' पहल का एक प्रमुख उदाहरण है, जो रक्षा क्षेत्र में भारत की आत्मनिर्भरता को और मज़बूत करेगा। इसका उत्पादन मुख्य रूप से भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (BDL) और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) जैसे सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों द्वारा किया जाएगा, जिससे देश के भीतर रोज़गार के नए अवसर भी सृजित होंगे और रक्षा विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा

सफल परीक्षणों ने साबित की क्षमता

QRSAM ने विकास और परीक्षण के दौरान अपनी क्षमताओं को कई बार साबित किया है। ओडिशा तट से एकीकृत परीक्षण रेंज (ITR) चांदीपुर में इसके कई सफल उड़ान परीक्षण किए गए हैं। इन परीक्षणों में इसने अपनी तेज़ प्रतिक्रिया समय, सटीकता और विभिन्न हवाई लक्ष्यों (जैसे मानवरहित हवाई वाहन, विमान और क्रूज मिसाइल) को भेदने की क्षमता का सफलतापूर्वक प्रदर्शन किया है।

हालिया परीक्षणों ने विशेष रूप से इसकी:

  • चलते-फिरते लक्ष्यों को भेदने की क्षमता (Canister-based system): यह सिस्टम मोबाइल प्लेटफॉर्म पर चलता है, जो इसे गतिशील रहते हुए भी लक्ष्य को खोजने, ट्रैक करने और फायर करने की क्षमता देता है।
  • 360-डिग्री कवरेज: इसके दो चार-दीवार वाले रडार (एक्टिव एरे बैटरी सर्विलांस रडार और एक्टिव एरे बैटरी मल्टीफंक्शन रडार) इसे हर दिशा से आने वाले खतरों से निपटने में सक्षम बनाते हैं।
  • सभी मौसम और भूभाग में प्रदर्शन: इसे दिन और रात दोनों परिस्थितियों में, तथा रेगिस्तान, पहाड़ों और तटीय क्षेत्रों सहित विभिन्न भौगोलिक इलाकों में काम करने के लिए परखा गया है।

रणनीतिक महत्व और सीमाओं पर तैनाती

QRSAM की लगभग 30 किलोमीटर की मारक क्षमता इसे सेना के लिए एक महत्वपूर्ण संपत्ति बनाती है, खासकर उन क्षेत्रों में जहाँ त्वरित हवाई सुरक्षा की आवश्यकता होती है। यह एक्टिव रडार होमिंग सीकर और लेजर प्रॉक्सिमिटी फ़्यूज़ जैसी अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग करता है।

ये अत्याधुनिक मिसाइल सिस्टम मुख्य रूप से देश की पश्चिमी और उत्तरी सीमाओं पर तैनात किए जाएंगे, जहाँ से संभावित हवाई खतरों का सामना करना पड़ता है। QRSAM, सेना में पहले से मौजूद आकाश और मीडियम रेंज सरफेस-टू-एयर मिसाइल (MRSAM) जैसे प्रणालियों के साथ मिलकर एक बहु-स्तरीय वायु रक्षा छत्र बनाएगा। यह छोटी से मध्यम दूरी तक की हवाई सुरक्षा को और भी सशक्त करेगा, जिससे किसी भी शत्रु के हवाई मंसूबों को प्रभावी ढंग से नाकाम किया जा सकेगा।

रक्षा सूत्रों के अनुसार, Defence Acquisition Council (DAC) की बैठक जून के चौथे सप्ताह में होने की संभावना है, जहाँ इस ₹30,000 करोड़ के प्रस्ताव पर मुहर लगाई जा सकती है। हाल ही में 'ऑपरेशन सिंदूर' जैसी सैन्य गतिविधियों के दौरान भारतीय वायु रक्षा नेटवर्क की प्रभावशीलता ने QRSAM जैसे उन्नत प्रणालियों की आवश्यकता को और बढ़ा दिया है। इस अधिग्रहण से भारतीय सेना की हवाई सुरक्षा क्षमताओं में उल्लेखनीय वृद्धि होगी।∎


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