जम्मू, दिल्ली, कराची से लेकर लंदन तक, पाकिस्तान एक बार फिर बेनकाब! इस बार पर्दा उठाया है उसी के परमाणु वैज्ञानिक डॉ. अब्दुल कादिर खान ने, जिनका पुराना इंटरव्यू इन दिनों सोशल मीडिया पर ताबड़तोड़ वायरल हो रहा है. इंटरव्यू में डॉ. कादिर कहते सुने जा सकते हैं कि पाकिस्तान का परमाणु परीक्षण किसी नेता की बहादुरी नहीं, बल्कि वैज्ञानिकों की कुर्बानी का नतीजा था। यहां तक कि उन्होंने कहा, “नवाज शरीफ तो पटाखा भी नहीं फोड़ सकते।”
वीडियो में डॉ. कादिर खुलकर बताते हैं कि उस समय के पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने न्यूक्लियर टेस्ट का विरोध किया था और अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति बिल क्लिंटन से बार-बार माफी मांगते नजर आए थे। वहीं लंदन से एक और झटका पाकिस्तान को उस वक्त लगा जब निर्वासित नेता अल्ताफ हुसैन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मदद की अपील की और पाकिस्तानी शरणार्थियों के उत्पीड़न को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाने की मांग की।
डॉ. अब्दुल कादिर ने क्या कहा?
पाकिस्तान के अखबार डॉन न्यूज को दिए गए एक पुराने फोनो इंटरव्यू में डॉ. कादिर कहते हैं, “नवाज शरीफ तो पटाखा भी नहीं फोड़ सकते थे, वो फोड़ने के काबिल ही नहीं थे। बम हमने बनाया, अपनी जानें दीं, लेकिन क्रेडिट लेने ये सब आगे आ जाते हैं। न्यूक्लियर टेस्ट के वक्त इनमें से कोई नहीं आया। भुट्टो कहते थे ‘हम घास खाकर भी बम बनाएंगे’, लेकिन बनाया किसने?”
यौम-ए-तकबीर पर वीडियो वायरल
अब्दुल कादिर खान ने यह भी कहा कि नवाज शरीफ बार-बार क्लिंटन से कहते रहे कि मुझे अफ़सोस है, मुझे ये करना पड़ा। इस तरह उन्होंने पाकिस्तान के भीतर के राजनीतिक खेल और सत्ता में बैठे लोगों की असलियत उजागर कर दी। 28 मई 1998 को पाकिस्तान ने बलूचिस्तान के चगाई में अपना पहला न्यूक्लियर टेस्ट किया था। इसे “Youm-e-Takbeer” यानी “गौरव का दिन” कहा जाता है। इसी मौके पर हर साल पाकिस्तान खुद को ‘परमाणु शक्ति’ बताकर गर्व करता है। लेकिन अब उनके ही परमाणु वैज्ञानिक ने इस ‘गौरव’ के पीछे के झूठ और राजनीतिक दिखावे की कलई खोल दी है।∎