गाजा पट्टी: जहाँ ₹5 में मिलने वाला एक पारले-जी बिस्कुट का पैकेट अब ₹2400 (लगभग 28 डॉलर) में बिक रहा है, यह कोई साधारण महंगाई नहीं, बल्कि गाजा पट्टी में जारी भुखमरी और मानवीय संकट का एक खौफनाक मंज़र है। ये कीमतें सिर्फ़ भोजन की कमी को नहीं दर्शातीं, बल्कि यह भी बताती हैं कि कैसे गाजा पट्टी दुनिया के सबसे मुश्किल और दर्दनाक स्थानों में से एक बन चुकी है, जिसे लोग 'धरती का नरक' कहने लगे हैं।
युद्ध और लगातार घेराबंदी ने गाजा में आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति श्रृंखला को पूरी तरह से तबाह कर दिया है। जहाँ पहले भोजन और दवाइयाँ आसानी से उपलब्ध थीं, अब उन तक पहुँच नामुमकिन हो गई है। सीमित आपूर्ति और अत्यधिक मांग के चलते कीमतें आसमान छू रही हैं। एक बिस्कुट के पैकेट के लिए इतनी बड़ी कीमत चुकाना दर्शाता है कि लोगों के पास जीवित रहने के लिए कोई और विकल्प नहीं बचा है।
संयुक्त राष्ट्र और विभिन्न मानवीय संगठन लगातार चेतावनी दे रहे हैं कि गाजा में लोग भुखमरी के कगार पर हैं। बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों को पर्याप्त भोजन और पोषण नहीं मिल रहा है, जिससे बीमारियाँ और मौतें बढ़ रही हैं। इस स्थिति ने गाजा को एक ऐसी जगह बना दिया है जहाँ बुनियादी ज़रूरतों के लिए भी संघर्ष करना पड़ रहा है।
अंतर्राष्ट्रीय समुदाय लगातार युद्धविराम और मानवीय सहायता की निर्बाध आपूर्ति की मांग कर रहा है, लेकिन राजनीतिक गतिरोध और ज़मीनी स्तर पर संघर्ष जारी रहने के कारण स्थिति में सुधार नहीं हो पा रहा है। गाजा में हर गुज़रता दिन लोगों के लिए एक नई चुनौती और गहरे संकट की तरफ़ धकेलता जा रहा है।∎