रामनगरी के इतिहास में आज (बृहस्पतिवार, 5 जून 2025) एक और स्वर्णिम अध्याय जुड़ गया, जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की उपस्थिति में भव्य राम मंदिर के भीतर राजा राम के राम दरबार की प्राण प्रतिष्ठा विधि-विधान से संपन्न हुई। इस दौरान पूरे मंदिर प्रांगण में जय श्रीराम के नारे गूँज उठे, और हर दिशा से वैदिक मंत्रों की ध्वनि सुनाई दी।
ब्रह्ममुहूर्त से ही मंदिर परिसर में एक अलौकिक आध्यात्मिक वातावरण बन चुका था। पंडितों, आचार्यों और संतों के समवेत स्वर, शंखध्वनि और हवन की महक ने पूरे माहौल को दिव्य बना दिया था।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस गरिमामयी क्षण को और भी विशेष बना दिया। उन्होंने सभी देव विग्रहों का अभिषेक किया, जिसके बाद राम दरबार की मूर्ति से आवरण हटाया गया। राजा राम का आभूषणों से भव्य श्रृंगार किया गया, जिसने सभी उपस्थित लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
इस ऐतिहासिक अवसर पर अयोध्या के 19 संत धर्माचार्य, राम मंदिर ट्रस्ट के पदाधिकारी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और विश्व हिंदू परिषद (VHP) के प्रमुख पदाधिकारी भी मौजूद रहे। प्राण प्रतिष्ठा से पहले, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हनुमानगढ़ी में भी दर्शन-पूजन किया।
यह समारोह अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के एक महत्वपूर्ण पड़ाव को दर्शाता है, जहाँ अब मुख्य मंदिर के साथ राम दरबार और अन्य देवालय भी पूरी तरह से स्थापित हो चुके हैं।
अयोध्या, उत्तर प्रदेश: प्रभु राम की नगरी अयोध्या में इन दिनों भक्तिमय माहौल अपने चरम पर है। "रामो विग्रहवान् धर्मः" यानी भगवान राम धर्म के साक्षात स्वरूप हैं - इस श्लोक की सार्थकता को चरितार्थ करते हुए, अयोध्या में नवनिर्मित श्री राम जन्मभूमि मंदिर अपने भव्य रूप में आकार ले चुका है। जिस राम मंदिर का शिलान्यास आधुनिक भारत में एक लंबे संघर्ष के बाद हुआ और जहाँ 22 जनवरी 2023 को प्रथम चरण की प्राण प्रतिष्ठा की गई थी, उसके अधूरे कार्य अब पूरे हो चुके हैं। अब, 5 जून 2025 को द्वितीय प्राण प्रतिष्ठा का भव्य अनुष्ठान संपन्न होगा, जिसकी तैयारियाँ ज़ोरों-शोरों से चल रही हैं।
वाल्मीकि रामायण के बालकांड, अयोध्याकांड, अरण्यकांड, किष्किंधाकांड, सुंदरकांड, लंका कांड और उत्तरकांड में वर्णित भगवान राम के जीवन को समर्पित यह मंदिर, 2.7 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है। इसकी भव्यता 161 फीट की ऊँचाई से परिलक्षित होती है, जिसमें तीन फ्लोर और कुल 12 द्वार बनाए गए हैं।
भारतीय संस्कृति में केवल मंदिर ही नहीं, बल्कि उसके क्षेत्र और शिखर का भी विशेष महत्व होता है। "शिखर दर्शनम् पाप नाशम्" यह श्लोक प्रमाणित करता है कि मंदिर के शिखर के दर्शन मात्र से भी पापों का नाश होता है। यह दर्शाता है कि मंदिर का हर अंग अद्भुत शक्ति का समावेश लिए हुए है।
यह ऐतिहासिक अनुष्ठान मंगलवार, 3 जून से शुरू हो चुका है, जिसका समापन 5 जून को गंगा दशहरा के शुभ अवसर पर होगा। इन अनुष्ठानों के तहत, राम मंदिर के प्रथम तल पर राम दरबार (श्रीराम, सीता, लक्ष्मण और हनुमान जी) की स्थापना की जाएगी, साथ ही मंदिर परिसर में बने सात अन्य देवालयों में देवी-देवताओं की मूर्तियों की भी प्राण-प्रतिष्ठा की जाएगी।
अनुष्ठान की प्रमुख झलकियाँ:
राम मंदिर ट्रस्ट को आशंका है कि कार्यक्रम में बड़ी भीड़ उमड़ सकती है। ऐसे में, मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने स्पष्ट किया है कि 3 से 5 जून को किसी को भी आमंत्रित नहीं किया गया है। यह कार्यक्रम बहुत सीमित संख्या में संत-महंतों, वैदिक आचार्यों और कुछ विशिष्टजनों के बीच ही संपन्न होगा।
चंपत राय ने यह भी बताया कि प्राण-प्रतिष्ठा के बाद राम दरबार और परकोटे में निर्मित मंदिरों में पूजा-अर्चना शुरू हो जाएगी, लेकिन श्रद्धालु अभी कुछ महीनों तक इन मंदिरों में दर्शन नहीं कर पाएंगे क्योंकि राम मंदिर निर्माण की कुछ बाधाएँ अभी सामने आ रही हैं।
प्रशासन भी अलर्ट मोड पर है: जिला प्रशासन ने श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए व्यापक इंतजाम किए हैं। राम मंदिर और हनुमानगढ़ी में दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं के लिए जगह-जगह छाया, पेयजल और शौचालय की व्यवस्था की गई है। सभी अस्पतालों में 10-10 बेड विशेष रूप से आरक्षित करवा दिए गए हैं ताकि किसी भी आपात स्थिति से निपटा जा सके।