गाजा में "तत्काल, बिना शर्त और स्थायी युद्धविराम" की मांग करने वाले एक प्रस्ताव पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में अमेरिका ने एक बार फिर वीटो का इस्तेमाल किया है। इस कदम ने गाजा में जारी संघर्ष को रोकने के अंतरराष्ट्रीय प्रयासों को एक बड़ा झटका दिया है।
यूएन सुरक्षा परिषद में बुधवार (4 जून) को मतदान के लिए पेश किए गए इस प्रस्ताव में गाजा में तुरंत युद्धविराम लागू करने की मांग की गई थी, जिसका सभी पक्षों द्वारा सम्मान किया जाना था। प्रस्ताव में मानवीय सहायता की निर्बाध आपूर्ति और बंधकों की रिहाई की भी बात शामिल थी।
अमेरिका ने इस प्रस्ताव को वीटो करते हुए तर्क दिया कि यह इजरायल और हमास के बीच युद्धविराम के लिए चल रही अमेरिकी-नेतृत्व वाली कूटनीतिक कोशिशों को कमजोर करेगा। संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी मिशन ने इस मसौदा प्रस्ताव पर सीधे टिप्पणी करने से इनकार कर दिया, लेकिन सूत्रों ने बताया कि अमेरिका का मानना है कि इस तरह का एकतरफा प्रस्ताव मध्य पूर्व में उसके सबसे करीबी सहयोगी इजरायल के हितों और सुरक्षा चिंताओं को पर्याप्त रूप से संबोधित नहीं करता है।
यह वीटो एक बार फिर दिखाता है कि अमेरिका वैश्विक सहमति और युद्ध रोकने के लिए बढ़ते अंतरराष्ट्रीय दबाव के बावजूद अपने सहयोगी इजरायल के साथ मजबूती से खड़ा है।
हाल ही में, अमेरिका ने गाजा में एक युद्धविराम प्रस्ताव पेश किया था, जिसमें 60 दिनों के युद्धविराम, जीवित बंधकों की रिहाई और मृत बंधकों के शवों की वापसी शामिल थी। इजरायल ने इस प्रस्ताव को अपनी मंज़ूरी दे दी थी, लेकिन हमास ने इसमें कई संशोधन की मांग की है। हमास का कहना है कि अमेरिकी प्रस्ताव पहले सुझाए गए प्रस्ताव से अलग है और इसमें युद्ध समाप्त करने की स्थायी गारंटी शामिल होनी चाहिए, न कि केवल अस्थायी युद्धविराम।
हमास के इन संशोधनों को अमेरिकी विशेष दूत स्टीव विटकॉफ ने "पूरी तरह नामंजूर" बताया है, जिससे शांति वार्ता पर एक बार फिर गतिरोध आ गया है। हमास की मुख्य मांगें इजरायली सेना की पूर्ण वापसी और गाजा में स्थायी युद्धविराम की गारंटी पर केंद्रित हैं।
क्या आपको लगता है कि संयुक्त राष्ट्र में इस तरह के प्रस्तावों पर वीटो का इस्तेमाल सही है या इससे वैश्विक शांति प्रयासों में बाधा आती है?