जोगिंदर सिंह भारतीय मोटरस्पोर्ट्स के इतिहास में एक ऐसा नाम है जिसे हमेशा सम्मान और गर्व के साथ लिया जाता है। उन्हें "हिमालयन सिंह" के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि उन्होंने एशिया की सबसे कठिन मानी जाने वाली रैली – 'हिमालयन रैली' – को तीन बार जीता था।
जन्म | 26 सितम्बर 1921 मोगा, पंजाब |
देहांत | 23 अक्टूबर 1962 बुमला, अरुणाचल प्रदेश |
निष्ठा | ब्रिटिश भारतभारत |
सेवा/शाखा | ब्रिटिश भारतीय सेनाभारतीय थलसेना |
सेवा वर्ष | 1936–1962 |
उपाधि | सूबेदार |
सेवा संख्यांक | JC-4547 |
दस्ता | प्रथम बटालियन, सिख रेजिमेंट |
युद्ध/झड़पें | द्वितीय विश्व युद्ध 1947 का भारत-पाक युद्धभारत-चीन युद्ध |
सम्मान | परम वीर चक्र |
जोगिंदर सिंह का जन्म 1932 में भारत के पंजाब राज्य में हुआ था। बाद में उनका परिवार केन्या चला गया, जहाँ उन्होंने अपनी पढ़ाई और करियर की शुरुआत की। वे एक मैकेनिक के रूप में काम करते थे, लेकिन उनका जुनून हमेशा से मोटर रेसिंग था।
जोगिंदर सिंह ने 1960 के दशक में रैली रेसिंग की दुनिया में कदम रखा और जल्दी ही अपनी प्रतिभा से सभी को चौंका दिया। उन्होंने कई अंतरराष्ट्रीय रैलियों में भाग लिया, लेकिन उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि रही हिमालयन रैली में जीत। वह इस कठिन रैली को जीतने वाले पहले भारतीय बने, और वह भी एक पुरानी कार में।
उनकी ड्राइविंग स्टाइल बेहद साहसी और संतुलित थी। खराब मौसम, ऊबड़-खाबड़ रास्ते और कठिन परिस्थितियों में भी उन्होंने अपनी तकनीकी समझ और अनुभव का उपयोग कर रेस पूरी की।
जोगिंदर सिंह न केवल एक महान रेसर थे, बल्कि वे नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत भी हैं। उन्होंने दिखाया कि सीमित संसाधनों के बावजूद, अगर जुनून हो तो कोई भी मंज़िल पाई जा सकती है। उनका जीवन साहस, समर्पण और दृढ़ निश्चय का प्रतीक है।