सरकार के मुफ्त उपहार वाले वादे देश को बना सकते हैं पिछड़ा, चुनाव में फ्री सौगात के वादों पर अब 3 जज की पीठ करेगी सुनवाई

Sakshi Kukreti
August 27, 2022
सरकार के मुफ्त उपहार वाले वादे देश को बना सकते हैं पिछड़ा, चुनाव में फ्री सौगात के वादों पर अब 3 जज की पीठ करेगी सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि करदाताओं के पैसे का उपयोग कर मुफ्त उपहार दिए जाएंगे. यह देश को
दिवालियापन की ओर धकेल सकता है. चुनावों से पहले मुफ्त उपहार का वादा करने वाले राजनीतिक दलों की
मान्यता रद्द करने की याचिका पर सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने यह टिप्पणी की. मुख्य न्यायाधीश जस्टिस
एनवी रामना की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि इस मामले पर विस्तार से सुनवाई जरूरी है. इसलिए याचिकाओं
को तीन न्यायाधीशों की पीठ के पास भेजा जा रहा है. इस पर 4 हफ्ते बाद सुनवाई दोबारा की जाएगी पीठ ने कहा
कि सभी चुनावी वादों को मुफ्त के साथ नहीं जोड़ा जा सकता है क्योंकि इनमें जनकल्याण की योजना भी होती है
और यह देश को बहुत ही पीछे भी ले जा सकता है. यह जो योजना है वह न केवल राज्य के नीति निदेशक तत्वों
का हिस्सा है बल्कि कल्याणकारी राज्यों की यह बहुत बड़ी जिम्मेदारी भी है. पर चुनावी वादों की आड़ में हम देश
को द्वित दलदल में भी धकेल रहे हैं. चुनावी माहौल के दौरान नेताओं के मुफ्त वाले वादे देश को पिछड़ा बना
सकता है.

कोर्ट ने कहा कि मुफ्त उपहार बांटने से एक समय ऐसी स्थिति आ सकती है. जब राज्य सरकार के पास धन की
कमी हो जाएगी और बुनियादी सुविधाएं देने भी मुश्किल हो जाएंगी. यह राज्य को दिवालियापन की ओर धकेलने
जैसा होगा हमें यह भी याद रखना चाहिए कि इस तरह के मुफ्त उपहार केवल पार्टी की लोकप्रियता और चुनावी
संभावनाओं को बढ़ाने के लिए कार्यकर्ता पैसे का उपयोग करते हैं.

इसी पर अदालत का कहना है कि हमारे समक्ष तर्क रखा गया कि एस सुब्रमण्यम बालाजी बनाम तमिलनाडु सरकार
के मामले में शीर्ष अदालत ने 2 जजों की पीठ में 2013 में जो फैसला दिया है. उस पर पुनर्विचार की बहुत
आवश्यकता है. इसमें शामिल हुए मुद्दों की जटिलताओं को देखते हुए. यह याचिकाओं की तीन न्यायधीश की पीठ
के समक्ष सूचीबद्ध करने का निर्देश देते हैं.

Eng