गुरु रविदास जयंती - Guru Ravidas Quotes

गुरु रविदास जी के दोहे - Guru Ravidas Ji ke Dohe

जाति-जाति में जाति हैं,
जो केतन के पात,
रैदास मनुष ना जुड़ सके,
जब तक जाति न जात।

भला किसी का नहीं कर सकते,
तो बुरा किसी का मत करना,
फूल जो नहीं बन सकते तुम,
तो कांटा बनकर भी मत रहना।

ब्राह्मण मत पूजिए जो होवे गुणहीन,
पूजिए चरण चंडाल के जो होने गुण प्रवीन।

रविदास जन्म के कारनै, होत न कोउ नीच,
नर कूं नीच करि डारि है, ओछे करम की कीच।

गुरु जी मैं तेरी पतंग,
हवा में उड़ जाऊंगी,
अपने हाथों से न छोड़ना डोर,
वरना मैं कट जाऊंगी।

ऐसा चाहूं राज मैं जहां मिले सबन को अन्न।
छोट बड़ो सब सम बसे रविदास रहे प्रसन्न।।


करम बंधन में बन्ध रहियो,
फल की ना तज्जियो आस,
कर्म मानुष का धर्म है,
संत भाखै रविदास।

मन चंगा तो कठौती में गंगा,
संत परंपरा के महान योगी,
परम ज्ञानी संत श्री रविदास जी,
आपको कोटि-कोटि नमन।


जन्म जात मत पूछिए, का जात और पात।
रैदास पूत सम प्रभु के कोई नहिं जात-कुजात।

अगर अच्छा नहीं कर सकते,
तो कम से कम दूसरों को नुकसान न पहुचाएं।
अगर फूल नहीं बन सकते हैं,
तो कम से कम कांटे न बनें।

गुरु रविदास 15वीं सदी के महान संत, दार्शनिक, कवि, समाज सुधारक और ईश्वर के अनुयायी थे। गुरु रविदास के जन्म को रविदास जयंती के रूप में मनाया जाता है।

गुरु रविदास जी के विचार - Guru Ravidas ke Vichar

  • यदि आप किसी का अच्छा नहीं कर सकते तो बुरा भी न करें।
  • हमें हमेशा कर्म में लगे रहना चाहिए और कभी भी कर्म के बदले मिलने वाले फल की आशा नहीं छोड़नी चाहिए क्योंकि कर्म करना हमारा धर्म है तो फल पाना हमारा सौभाग्य है।
  • यदि आपमें थोड़ा सा भी अभिमान नहीं है तो निश्चित ही आपका जीवन सफल रहता है, ठीक वैसे ही जैसे एक विशालकाय हाथी शक्कर के दोनों को बिन नहीं सकता, लेकिन एक तुच्छी सी दिखने वाली चींटी शक्कर के दानों को आसानी से बिन लेती है।
  • जिस प्रकार तेज़ हवा के कारण सागर मे बड़ी-बड़ी लहरें उठती हैं, और फिर सागर में ही समा जाती हैं, उनका अलग अस्तित्व नहीं होता । इसी प्रकार परमात्मा के बिना मानव का भी कोई अस्तित्व नहीं है।
  • सभी मनुष्य समान हैं, चाहे उनकी जाति, धर्म या लिंग कुछ भी हो।
  • हमें अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत करनी चाहिए।
  • हमें सभी के प्रति दयालु और सहानुभूतिपूर्ण होना चाहिए।
  • कभी भी अपने अंदर अभिमान को जन्म न दें। एक छोटी सी चींटी शक्कर के दानों को बीन सकती है, लेकिन एक विशालकाय हाथी ऐसा नहीं कर सकता।
  • जीव को यह भ्रम है कि यह संसार ही सत्य है किंतु जैसा वह समझ रहा है वैसा नहीं है, वास्तव में संसार असत्य है।
  • कोई भी व्यक्ति छोटा या बड़ा अपने जन्म के कारण नहीं, बल्कि अपने कर्म के कारण होता है। व्यक्ति के कर्म ही उसे ऊंचा या नीचा बनाते हैं।

भक्तमाल | गुरु रवि दास जी का जीवन परिचय - Jeevan Parichay

भक्तमाल | रवि दास
असली नाम - रविदास
अन्य नाम: रैदास, गुरु रविदास, संत रविदास, भक्त रविदास, रोहिदास और रुहिदास
आराध्या - भगवान कृष्ण
जन्म - 5 फरवरी, 1377 / माघ शुक्ला पूर्णिमा (रविदास जयंती)
जन्म स्थान - वाराणसी
वैवाहिक स्थिति - विवाहित
पिता - संतोख दास
माता - माता कलसी
प्रसिद्ध उद्धरण: रविदास के विचार भक्ति आंदोलन के भीतर निर्गुण दर्शन से संबंधित हैं।