बेटी के जन्म पर एक अनोखी पहल - A unique initiative on the birth of a daughter 

Rishabh Swami
August 20, 2024
बेटी के जन्म पर एक अनोखी पहल - A unique initiative on the birth of a daughter 

राजस्थान में राजसमंद जिले के पिपलांत्री गांव की देश-विदेश में पहचान है। यह पहचान गांव की अनौखी परंपरा से मिली है। 

राजसमंद जिला मुख्यालय से करीब 15 किलोमीटर दूर पिपलांत्री गाँव के किसी भी घर में बेटी के जन्म पर माता-पिता को 111 पौधे लगाने होते हैं। रक्षाबंधन पर बहन-बेटियां पेड़ों को राखी बांधकर ग्रामीणों से सुरक्षा और संरक्षण का संकल्प लेती हैं। गांव में प्रतिवर्ष रक्षाबंधन पर पर्यावरण महोत्सव मनाया जाता है। 

पर्यावरण महोत्सव में ग्रामीण पेड़ों के साथ बहन-बेटियों की सुरक्षा व संरक्षण का संकल्प लेते हैं। दो दशक से गांव में यह परंपरा कायम है। गांव में परंपरा है कि जो परिवार बेटी के जन्म पर 111 पौधे लगाता है वह उनकी देखभाल भी निरंतर करता है। साल, 2008 में पिपलांत्री गांव के तत्कालीन सरपंच श्याम सुंदर पालीवाल ने यह परंपरा प्रारंभ की थी जो अब भी जारी है। 

बेटी के जन्म पर 111 पौधे लगाने के साथ ही गांव की पंचायत माता-पिता से दस हजार और भामाशाहों से 21 हजार रूपए लेकर इनकी एफडी करवाते हैं। इसका हिसाब ग्राम पंचायत स्खती है। लड़की की शादी के मौके पर एफडी का यह पैसा उसको दिया जाता है। ग्रामीणों का कहना है कि बेटी के जन्म पर पौधे लागने से काफी खुशी मिलती है। पौधा बड़ा होकर पेड़ बनें, इसके लिए बहन बेटियों रक्षाबंधन पर उन पर राखी बांधती है। बहन-बेटियों के साथ ग्रामीण भी पेड़ों की सुरक्षा का संकल्प लेते हैं। 

पालीवाल खुद पेड़ों की सुरक्षा पर ध्यान देते हैं। साथ ही वे गांव के किसी भी परिवार में बेटी के जन्म पर खुद बधाई देने उनके घर पहुंचते हैं। गांव में प्रतिवर्ष औसतन 55 से 60 बेटियां पैदा होती है। डेढ़ दशक में चारागाह भूमि पर डेढ़ लाख से अधिक पेड़ लगाए गए हैं। इनमें नीम, आम, आंवला एवं शीशम के पेड़ शामिल हैं। करीब पांच हजार की आबादी वाले इस गांव की वर्तमान में सरपंच अनिता पालीवाल हैं।

बेटी के निधन के बाद शुरू हुआ अभियान - Campaign started after daughter's death 

श्याम सुंदर पालीवाल साल, 2005 में पहली बार गांव के सरपंच निर्वाचित हुए। उस समय गांव में पानी, बिजली, बेरोजगारी सहित कई समस्याएं थी। पानी नहीं होने से फसल नहीं होती थी। गांव के आसपास मार्बल की खाने होने से पेड़-पौधे नष्ट हो जाते थे। पालीवाल ने सबसे पहले गांव के युवाओं को एकजुट कर बारिश के पानी को एकत्रित करने के लिए एक दर्जन से अधिक चेक डैम तैयार किए। इस कदम से गांव का पानी गांव में ही एकत्रित होने लगा । पानी का स्तर भी बढ़ गया। साल, 2007 में पालीवाल की बेटी किरण का निधन हुआ तो उन्होंने लड़कियों के साथ पौधों के संरक्षण का अभियान शुरू किया। किसी भी परिवार में लड़की पैदा होने पर 111 पौधे लगाने का संकल्प ग्रामीणों को दिलवाया जिससे गांव का पर्यावरण सुधरा।

पैसा एकत्रित करवा कर लड़कियों की शादी में मदद करवाई। रक्षाबंधन पर गांव में मनाए जाने वाले पर्यावरण महोत्सव में बढ़ी संख्या में महिलाएं और लड़किया पहुंचती है। गांव की जिन लड़कियों की शादी दूर हो गई वे भी रक्षाबंधन पर गांव में पेड़-पौधों को राखी बांधने के लिए पहुंचती है। इस बार पर्यावरण महोत्सव रक्षाबंधन से पहले 16 अगस्त को मनाया गया। इसमें एक हजार से अधिक लड़कियों ने पौधों को राखी बाधी। पर्यावरण महोत्सव में  प्रदेश के सहकारिता मंत्री गौतम दक, सांसद महिमा कुमारी विधायक दीप्ति माहेश्वरी शामिल हुए। पालीवाल को साल, 2021 में पद्मश्री से सम्मानित किया जा चुका है। वे पर्यावरण संरक्षण के काम में जुटे रहते हैं। 

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