लाफिंग बुद्ध, गौतम बुद्ध में क्या है अंतर - What is the difference between Laughing Buddha and Gautam Buddha?

Rishabh Swami
September 10, 2024
लाफिंग बुद्ध, गौतम बुद्ध में क्या है अंतर - What is the difference between Laughing Buddha and Gautam Buddha?

अपने मन में एक चित्र बनाइये, एक मनमोहक प्रसन्न भाव, गोल पेट, सिर पर बाल नहीं, एक अलग ही तेज और बौद्ध भिक्षु वाले वस्त्रों के साथ, हंस्रता हुआ एक चेहरा। जिस चित्र की आप कल्पना कर रहे हैं, वह है लाफिंग बुद्ध का, जिन्हें आपने कई जगहों पर देखा होगा। हालांकि कुछ लोगों को आश्चर्य हो सकता है कि यह बुद्ध ऐतिहासिक बुद्ध की तरह क्यों नहीं दिखते, जो लगभग 2.500 साल पहले भारत में रहते थे। 

ऐसे में आप हैरान न हों। ऐतिहासिक बुद्ध का नाम था सिद्धार्थ, जो गौतम, शाक्यमुनि या गौतम बुद्ध के नामों से प्रसिद्ध हुए। उन्हें तटस्थ भाव, दुबले-पतले शरीर, मुड़े हुए बाल और मठवासी वस्त्रों के साथ चित्रित किया जाता है। हंसने वाले बुद्ध उनसे अलग हैं। पूर्वी एशियाई बौद्ध धर्म के एक विद्वान ‘समय के साथ देवता कैसे और क्यों बदलते हैं' विषय पर अध्ययन कर रहे हैं। यह कहते हैं, हंसते हुए बुद्ध को एक प्रमुख व्यक्ति के रूप में देखता हूं, जो दिखाता है कि लोगों ने बौद्ध धर्म को विभिन्न सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संदभों में कैसे अनुकूलित किया है। 

लाफिंग बुद्ध दरअसल दसवीं सदी के एक चीनी बौद्ध भिक्षु थे, जिन्हें 'क्लॉथ बेग' या चीनी में 'बुदाई’ और जापान में ‘होतेई’ कहा जाता है। यह भिक्षु बौद्ध धर्म के जैन पंथ से संबंधित थे, जिनके अनुयायी धन और प्रसिद्धि से कोसों दूर रहते हैं। वे कपड़े के थेले में उपहार भरकर घूमते थे और बच्चों में खुशियां बांटते थे। उनकी उदारता और करुणा को देखकर चीनी बौद्धों ने निष्कर्ष निकाला कि वह कोई साधारण भिक्षु नहीं है, बल्कि यह भावी बुद्ध का मानव अवतार हैं, जिनका नाम मैत्रेय है। 

पारंपरिक पूर्वी एशियाई संदर्भ में, उनका गोल पेट, उनकी उदारता, प्रचुरता और अन्य सकारात्मक गुणों का भी प्रतीक है। चीन से, हंसते हुए बुद्ध की छवियां दो दिशाओं में फैली। सबसे पहले पूर्वी एशिया में वियतनाम, कोरिया और जापान जैसे देशों में फैली। इन सभी देशों में जैन बौद्ध धर्म का एक लोकप्रिय रूप है, पर यह जापानी जैन बौद्ध धर्म था, जिसने 19वीं और 20वीं सदी में लोकप्रियता हासिल की। यानी पश्चिम में हंसते हुए बुद्ध की कई छवियां जापानी मॉडल पर आधारित हैं। 

हंसते हुए बुद्ध की छवियां चीन से यूरोप तक फैली, जहां 18वीं शताब्दी के अभिजात्य वर्ग ने हंसते हुए बुद्ध की मूर्तियों सहित चीनी मि‌ट्टी के बर्तन प्रदर्शित करके सौंदर्य की अपनी दृष्टि का परिचय दिया। आज जब हम दुकानों, घरों और यहां तक कि ब्रांड नाम के साथ भी लाफिंग बुद्ध को देखते हैं, तो लोग उन्हें बुद्ध समझते हैं, लेकिन कम ही लोग जानते होंगे कि आखिर वे हैं कौन और क्यों इतने लोकप्रिय हुए। 

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