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UltranewsTv | Updated : 09 July, 2025
इसकी छाल कटु रस युक्त और स्तंभक गुण वाली होती है। इसके नियमित प्रयोग से कमजोर मसूड़ों को बल मिलता है। मुंह की दुर्गंध से छुटकारा देने वाले जामुन के फल में आग्जैलिक तथा टैनिक एसिड पाए जाते हैं।
इसमें प्रचुर मात्रा में कार्बोहाइड्रेट्स, मिनरल और विटामिन भी पाए जाते हैं। इसका पका हुआ फल पाचन और दिल के लिए फायदेमंद होता है। जामुन के सिरके में भी वही गुण होते हैं।
ग्रामीण भारत में उल्टी आने पर जामुन के फल का दो चम्मच रस रोगी को देने की प्रथा है। नकसीर फूटने पर भी कहीं युक्ति प्रयोग में लाई जाती है।
इससे बार-बार मल त्याग की प्रवृत्ति पर अंकुश लगता है। जामुन के पते और बादाम फल के छिलके को सम भाग में लेकर जलाकर प्राप्त की गई राख दंतों और मसूड़ों को कमजोरी और पायरिया के उपचार में लाभकारी है।
भारतीय परंपरा में जामुन की गुठली को मधुमेह में प्रयोग किया जाता है। इसके लिए एक से दो ग्राम जामुन गुठली का चूर्ण अकेले ही अथवा किसी अन्य मधुमेह निरोधी दवाई के साथ सेवन करने से निश्चित ही रक्त में ग्लूकोज की मात्रा कम होती है और बहुमूत्र जैसे उपद्रवों से भी राहत मिलती है।
जामुन के कच्चे अथवा पके हुए फलों का भी अधिक मात्रा में सेवन करने से कई बार पेट में क्षोभ और गैस जैसे विकार होते देखे गए हैं। ऐसी स्थिति में भुने जीरे का चूर्ण एक ग्राम और सैंधा नमक आधा ग्राम मिलाकर सेवन करने से आराम मिल जाता है।
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