भारत सरकार की ओर से एक्सपोर्ट प्रमोशन मिशन को हरी झंडी

भारत की डामाडोल निर्यात इंकम को मद्देनज़र रखते हुए भारत सरकार ने देश के एक्सपोर्ट इकोसिस्टम को मज़बूत करने के लिए 'एक्सपोर्ट प्रमोशन मिशन' की मंज़ूरी दी है। इसके लिए क़रीब 25 हज़ार करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया गया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'एक्सपोर्ट प्रमोशन मिशन' को लेकर कहा, "हम सुनिश्चित कर रहे हैं कि दुनिया भर के बाज़ारों में 'मेड इन इंडिया' की गूंज और भी अधिक सुनाई दे!"

उन्होंने कहा, "केंद्रीय मंत्रिमंडल ने एक्सपोर्ट प्रमोशन मिशन (ईपीएम) को मंज़ूरी दी है। इसका मक़सद भारत के निर्यात को मज़बूत बनाना है।"

पीएम मोदी ने कहा, "यह छोटे कारोबारों (एमएसएमई), पहली बार निर्यात करने वालों और श्रम-आधारित उद्योगों की मदद करेगा। इस मिशन में सभी ज़रूरी साझेदारों को साथ लाकर एक ऐसी व्यवस्था बनाई जाएगी जो नतीजे देने वाली और अधिक असरदार होगी।"

एमएसएमई मंत्रालय, वित्त मंत्रालय, वाणिज्य विभाग और अन्य साझेदारों ने मिलकर 'एक्सपोर्ट प्रमोशन मिशन' को लॉन्च किया है। इसमें उद्योग संघ और राज्य सरकारें भी शामिल हैं।

MSME क्या होता है ?

एमएसएमई का मतलब सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम है। ये भारत सरकार के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम विकास (MSMED) अधिनियम, 2006 के तहत वर्गीकृत किए गए हैं, जो निवेश और वार्षिक कारोबार के आधार पर उद्यमों को परिभाषित करता है। यह क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह रोजगार सृजन और देश की जीडीपी में योगदान देता है।

वर्गीकरण सूक्ष्म लघु मध्यम
विनिर्माण उद्यम और सेवाएं प्रदान करने वाले उद्यम संयंत्र और मशीनरी या उपकरणों में निवेशः
रुपये से अधिक नहीं। 2. 5 करोड़ और वार्षिक कारोबार रु। 10 करोड़ रु
संयंत्र और मशीनरी या उपकरणों में निवेशः
रुपये से अधिक नहीं। 25 करोड़ और वार्षिक कारोबार रु। 100 करोड़
संयंत्र और मशीनरी या उपकरणों में निवेशः
रुपये से अधिक नहीं। 125 करोड़ और वार्षिक कारोबार रु। 500 करोड़ रु

एमएसएमई की नई परिभाषा, अधिसूचना देखें

src: ministry of MSME, India