सरकार ने कपास पर आयात शुल्क छूट 31 दिसंबर 2025 तक बढ़ाई, किसानों का विरोध तेज

नई दिल्ली, 28 अगस्त 2025 – केंद्र सरकार ने कपास पर आयात शुल्क में दी जा रही छूट की अवधि को 31 दिसंबर 2025 तक बढ़ा दिया है। सरकार का कहना है कि यह कदम घरेलू वस्त्र उद्योग को राहत देने और अमेरिकी टैरिफ (50%) के असर को कम करने के लिए उठाया गया है।

किसानों की आपत्ति

किसान संगठनों ने इस फैसले का कड़ा विरोध किया है। उनका कहना है कि सस्ते विदेशी कपास के आने से भारतीय किसानों को अपनी उपज का उचित दाम नहीं मिलेगा। उनका आरोप है कि सरकार घरेलू किसानों की मदद करने के बजाय विदेशी आयात को बढ़ावा दे रही है।

राजनीतिक प्रतिक्रिया

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस फैसले को "किसान विरोधी" बताया और केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि अगर अमेरिका भारत पर 50% टैरिफ लगाता है, तो जवाब में भारत को अमेरिकी आयात पर 100% शुल्क लगाना चाहिए।

उद्योग को राहत

वस्त्र उद्योग से जुड़े संगठन CITI (Confederation of Indian Textile Industry) ने इस फैसले का स्वागत किया है। उनका कहना है कि कच्चे माल की उपलब्धता आसान होगी और निर्यात उद्योग को प्रतिस्पर्धी बने रहने में मदद मिलेगी।

शेयर बाज़ार पर असर

इस घोषणा के बाद वस्त्र कंपनियों के शेयरों में गिरावट देखी गई। Vardhman Textiles और Gokaldas Exports जैसी कंपनियों के शेयरों में कमी दर्ज की गई।

आगे की स्थिति

उद्योग विशेषज्ञों का अनुमान है कि इस साल कपास का आयात बढ़कर 4.2 मिलियन बेल्स तक जा सकता है। सरकार को उम्मीद है कि इससे वस्त्र निर्यात को बढ़ावा मिलेगा और भारत अपने $100 बिलियन निर्यात लक्ष्य की ओर बढ़ सकेगा।

FAQ

सरकार ने कपास पर आयात शुल्क छूट कब तक बढ़ाई है?

सरकार ने कपास पर आयात शुल्क की छूट को 31 दिसंबर 2025 तक बढ़ा दिया है।

किसानों ने इस फैसले का विरोध क्यों किया है?

किसानों का कहना है कि सस्ते विदेशी कपास से घरेलू कपास की कीमतें गिरेंगी और उन्हें उचित दाम नहीं मिलेगा।

इस फैसले से किसे फायदा होगा?

इससे वस्त्र उद्योग को कच्चा माल सस्ता और उपलब्ध होगा, जिससे निर्यात को बढ़ावा मिलेगा।