उपराष्ट्रपति चुनाव में सांसद कैसे करते हैं मतदान? जानें पूरी प्रक्रिया

नई दिल्ली: भारत में उपराष्ट्रपति का चुनाव एक विशेष चुनावी प्रक्रिया के माध्यम से होता है, जिसमें केवल संसद के सदस्य ही मतदान करते हैं। यह प्रक्रिया राष्ट्रपति चुनाव से थोड़ी अलग होती है, क्योंकि इसमें राज्यों के विधायक शामिल नहीं होते हैं। आइए, इस पूरी प्रक्रिया को विस्तार से समझते हैं:

कौन करता है मतदान?

उपराष्ट्रपति के चुनाव में संसद के दोनों सदनों – लोकसभा और राज्यसभा – के सभी सदस्य मतदान करते हैं। इसमें मनोनीत सदस्य (nominated members) भी शामिल होते हैं।

मतदान की प्रक्रिया

  1. इलेक्टोरल कॉलेज: उपराष्ट्रपति का चुनाव एक 'इलेक्टोरल कॉलेज' (निर्वाचक मंडल) द्वारा किया जाता है। इस कॉलेज में संसद के सभी सदस्य होते हैं, चाहे वे निर्वाचित (elected) हों या मनोनीत (nominated)।

  2. गुप्त मतदान: मतदान गुप्त बैलेट के माध्यम से होता है। सांसदों को एक विशेष कलम (pen) दी जाती है जिसका उपयोग करके वे अपनी पसंद के उम्मीदवार को वोट देते हैं।

  3. आनुपातिक प्रतिनिधित्व: चुनाव 'आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली' के अनुसार होता है, जिसमें 'एकल संक्रमणीय वोट' (single transferable vote) का उपयोग किया जाता है। इसका मतलब है कि वोटर को केवल एक उम्मीदवार को वोट नहीं देना होता, बल्कि वे अपनी पसंद के अनुसार उम्मीदवारों को 1, 2, 3... नंबर देकर वरीयता (preference) तय करते हैं।

  4. वोटों का मूल्य: राष्ट्रपति चुनाव के विपरीत, उपराष्ट्रपति चुनाव में प्रत्येक सांसद के वोट का मूल्य बराबर होता है, यानी एक वोट का एक मूल्य।

  5. जीतने का मानदंड: चुनाव जीतने के लिए उम्मीदवार को एक निश्चित संख्या में वोट हासिल करने होते हैं, जिसे 'जीत के कोटा' (quota of victory) के रूप में जाना जाता है। वोटों की गिनती तब तक चलती रहती है जब तक कोई उम्मीदवार यह कोटा हासिल नहीं कर लेता। अगर पहले वरीयता के वोटों से कोई उम्मीदवार नहीं जीतता, तो सबसे कम वोट पाने वाले उम्मीदवार को हटा दिया जाता है और उसके दूसरे वरीयता वाले वोटों को अन्य उम्मीदवारों में बाँट दिया जाता है। यह प्रक्रिया तब तक चलती है जब तक कोई उम्मीदवार जीत का कोटा पार नहीं कर लेता।

उपराष्ट्रपति चुनाव का महत्व

उपराष्ट्रपति, राज्यसभा के पदेन सभापति (ex-officio chairman) होते हैं। यह पद संवैधानिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण है और यह सुनिश्चित करता है कि उच्च सदन (राज्यसभा) की कार्यवाही सुचारू रूप से चले। इसके अलावा, राष्ट्रपति की अनुपस्थिति में उपराष्ट्रपति ही कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में कार्य करते हैं।