देश की राजनीति में उप-राष्ट्रपति पद जैसी संवैधानिक जिम्मेदारी छोड़ने का निर्णय हमेशा चर्चा का विषय बनता है। जगदीप धनखड़ का अचानक इस्तीफा भी लंबे समय तक सवालों और अटकलों के केंद्र में रहा। चार महीने तक राजनीतिक रूप से लगभग मौन रहने के बाद, उन्होंने पहली बार एक सार्वजनिक मंच से अपनी बात रखी। यह मौक़ा था भोपाल में RSS के संयुक्त सचिव मनमोहन वैद्य की पुस्तक ‘हम और यह विश्व’ के विमोचन कार्यक्रम का, जहां धनखड़ ने न सिर्फ अपनी चुप्पी तोड़ी, बल्कि अपने इस्तीफे, कर्तव्यबोध और RSS के प्रति दृष्टिकोण पर भी संकेतों में बहुत कुछ कहा।
उप-राष्ट्रपति पद से इस्तीफा देने के करीब चार महीने बाद जगदीप धनखड़ ने एक सार्वजनिक भाषण दिया। हालांकि उन्होंने इस्तीफे पर सीधे टिप्पणी नहीं की, लेकिन उनके शब्दों में छिपे संकेतों ने एक बार फिर पूरे मामले को चर्चा में ला दिया।
कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा कि समय की कमी के कारण वे पूरी तरह अपनी बात नहीं रख पाते, लेकिन “कर्तव्य से पीछे हटना” उनके स्वभाव में नहीं है। उन्होंने मुस्कराहट के साथ कहा कि वे अपने मन की बात पूरी तरह नहीं कह सकते। इन छोटी-छोटी लेकिन सटीक टिप्पणियों को उनके अचानक त्यागपत्र से जोड़कर देखा जा रहा है—एक ऐसा निर्णय जिसने मानसून सत्र से ठीक पहले सभी को हैरान कर दिया था।
अपनी स्पीच में धनखड़ ने RSS की विचारधारा और योगदान की खुलकर प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि आज की उथल-पुथल भरी दुनिया को स्थिर और सकारात्मक दिशा देने की क्षमता सिर्फ भारत के पास है, और इसका आधार हमारी हजारों साल पुरानी सभ्यता और सांस्कृतिक विरासत है।
धनखड़ के अनुसार, RSS में राष्ट्र को और मजबूत बनाने की क्षमता है, लेकिन संगठन को लेकर देश में कई गलतफहमियाँ और मिथक फैले हुए हैं। उन्होंने कहा कि मनमोहन वैद्य की यह किताब इन भ्रमों को तोड़ते हुए RSS के वास्तविक स्वरूप को समझने का अवसर देती है।