रूस से तेल खरीदने को लेकर अमेरिकी प्रशासन का भारत पर आरोपों का सिलसिला जारी है। अमेरिका का कहना है कि भारत रूस से तेल खरीदकर कर मुनाफ़ा कमा रहा है। भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने इसका जवाब दिया है।
इकोनॉमिक टाइम्स वर्ल्ड लीडर्स फ़ोरम 2025 में इस मुद्दे पर पूछे गए सवाल के जवाब में जयशंकर ने कहा, "यह हास्यास्पद है कि जो लोग व्यापार का समर्थन करने वाले अमेरिकी प्रशासन के लिए काम करते हैं, वे दूसरों पर व्यापार करने का आरोप लगा रहे हैं।"
भारत के विदेश मंत्री ने कहा, "अगर आपको भारत से तेल या रिफाइंड प्रोडक्ट खरीदने में कोई दिक्कत है, तो मत खरीदिए। इसके लिए कोई आपको मजबूर नहीं कर रहा है। लेकिन यूरोप और अमेरिका खरीदते हैं। इसलिए अगर आपको पसंद नहीं है, तो मत खरीदिए।"
रूस से तेल खरीदने को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट के बाद व्हाइट हाउस के ट्रेड एडवाइजर पीटर नवारो ने भारत को निशाने पर लिया है।
नवारो ने कहा, ''भारत रूसी तेल की रिफाइनिंग का लॉन्ड्रोमैट बन गया है। इसके ज़रिये वह ख़ुद तो मुनाफ़ा कमा ही रहा है, साथ ही परोक्ष तौर पर यूक्रेन युद्ध में रूस की फंडिंग भी कर रहा है।
भारत-पाकिस्तान संघर्ष विराम में किसी तीसरे पक्ष की भूमिका नहीं: जयशंकर
एस जयशंकर ने इस कार्यक्रम में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर भी बयान दिया और साफ़ किया कि भारत-पाकिस्तान संघर्ष विराम में किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता नहीं थी।
उन्होंने कहा, उस समय फ़ोन पर लगातार बातचीत हो रही थी और ऐसी हर कॉल की जानकारी मैंने अपने एक्स अकाउंट पर दी थी। जब माहौल तनावपूर्ण होता है तो स्वाभाविक है कि देश एक-दूसरे से संपर्क करते हैं।
एस जयशंकर ने कहा, "जब ईरान और इसराइल के बीच संघर्ष चल रहा था, तो मैंने भी उन्हें कॉल किया था।"
जयशंकर ने कहा, “आज के दौर में सभी देश एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं और हर देश जानना चाहता है कि दूसरे देश में आखिर चल क्या रहा है। अंतरराष्ट्रीय संबंधों में जिनका मजबूत इतिहास है, वे ऐसी पहल करते हैं। लेकिन यह साफ़ है कि भारत और पाकिस्तान के बीच किसी तीसरे पक्ष ने मध्यस्थता नहीं की।”
विदेश मंत्री ने दोहराया कि संघर्ष विराम को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच सीधी बातचीत हुई थी।
गौरतलब है कि अमेरिका के राष्ट्रपति कई बार दावा कर चुके हैं कि भारत-पाकिस्तान संघर्ष विराम में उनकी भूमिका रही है।
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में पर्यटकों पर चरमपंथी हमला हुआ था, जिसमें 26 लोगों की मौत हुई थी।
इसके बाद छह-सात मई की रात भारतीय सेना ने पाकिस्तान और पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर में चरमपंथी कैंपों को निशाना बनाया।
इस अभियान को भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नाम दिया।
इसके बाद दोनों देशों के बीच सैन्य संघर्ष शुरू हुआ, जो 10 मई को संघर्ष विराम की घोषणा के साथ थम गया।