कश्मीर के सेब हैं खतरे में, क़रीब 1200 करोड़ रुपये का नुक़सान हुआ

सोमवार को जम्मू-कश्मीर में कश्मीर घाटी की सभी सेब मंडियों को विरोध के तौर पर बंद रखा गया। हालांकि, कुछ मंडियां मंगलवार को भी बंद हैं।

सेब उद्योग से जुड़े कई लोगों ने सोमवार को सोपोर, शोपियां, अनंतनाग, कुलगाम और दूसरी मंडियों में शांतिपूर्ण प्रदर्शन करते हुए राजमार्ग पर फंसे ट्रकों को फौरी तौर पर आगे रवाना किया जाए ऐसी मांग की गई, ताकि नुकसान से बच सके।

सड़क संकट इतना गहरा हो गया है कि जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्लाह ने सोमवार को श्रीनगर-जम्मू राष्ट्रीय राजमार्ग को लेकर केंद्र सरकार से कहा कि, "अगर आपसे राजमार्ग ठीक नहीं हो पा रहा है तो इस सड़क को हमारे हवाले कीजिए और हम खुद सड़क को ठीक करेंगे।"

सोमवार को देर रात एक्स हैंडल पर जानकारी देते हुए उमर अब्दुल्लाह ने बताया कि उन्होंने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से बात की। नितिन गडकरी ने आश्वासन दिया है कि चौबीस घंटे के अंदर-अंदर कुछ ठोस क़दम उठाए जाएंगे।

इस सब के चलते हुए निर्दलीय विधायक खुर्शीद अहमद ने मंगलवार को श्रीनगर में सेब संकट के ख़िलाफ़ प्रदर्शन करने का प्रयास किया, लेकिन पुलिस ने प्रदर्शन को रोक दिया।

श्रीनगर से जम्मू की दूरी क़रीब 250 किलोमीटर है। इसी रास्ते से सेब के ट्रकों को कश्मीर से बाहर पहुंचाया जाता है। बीते दिनों जम्मू-कश्मीर में बाढ़, बारिश और भूस्खलन के कारण जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग को कई दिनों तक बंद रखा गया था।

हालांकि, अब राजमार्ग को खोल दिया गया है। लेकिन रास्ते पर भयंकर ट्रैफ़िक लग गया है, जिसके कारण सेब के ट्रक आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं।

'क़रीब 1200 करोड़ रुपये का नुक़सान'

सेब उद्योग से जुड़े लोगों का कहना है कि बीते 20 दिनों से सेब से लदे ट्रक श्रीनगर-जम्मू राष्ट्रीय राजमार्ग पर जाम में ही फंसे हैं, जिसके कारण सेब सड़ रहा है।

सोपोर फ्रूट मंडी के अध्यक्ष फ़याज़ अहमद मलिक का कहना है कि "बीते 20 दिनों से हमारे सेब से लदे ट्रक राजमार्ग पर फंसे हैं और हमारा सारा सेब सड़ रहा है और भारी नुक़सान उठाना पड़ रहा है। सरकार कुछ नहीं कर पा रही है।"

"सेब को ज़्यादा समय तक ट्रक में नहीं रखा जा सकता है। बल्कि जितना जल्दी हो सके सेब मंडी में पहुंचना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है।"

फ़याज़ अहमद मलिक ने कहा, "हम ट्रक में सेब को लोड तो करते हैं, लेकिन वो ट्रक रास्ते में फंस जाते हैं और माल ख़राब हो रहा है। अभी तक 1200 करोड़ से अधिक नुक़सान इस उद्योग को हो चुका है। सरकार ठोस क़दम नहीं उठा रही है। हम मंडियों को बंद करने पर मजबूर हो गए हैं।"

कश्मीर में लाखों लोगों का रोज़गार सेब उद्योग से जुड़ा है। कश्मीर में हर साल क़रीब 20 से 25 मीट्रिक टन सेब की पैदावार होती है।

आपको बता दें जम्मू एवं कश्मीर (विशेषकर कश्मीर उपत्यका) भारत के कुल सेब उत्पादन का लगभग 75% हिस्सा बनाता है।

सोमवार (15 सितंबर) को सोशल मीडिया पर कुछ ऐसे वीडियो वायरल हुए, जिनमें ट्रकों से ख़राब सेब फेंकते हुए देखा गया।