केरल कोर्ट ने यौन उत्पीड़न मामले में दिया फ़ैसला, 12 दिसंबर को सज़ा, एक्टर दिलीप बरी

ये मामला आज से कुछ साल पहले 17 फरवरी, 2017 का है, मामले में एक महिला (ऐक्टर) की कार को टक्कर मार कर छह लोगों द्वारा जबरदस्ती गाड़ी में घुसकर नैशनल हाइवे पर ले जाकर महिला के यौन उत्पीड़न और उसे रिकार्ड करने का है। इस मामले में एर्नाकुलम प्रिंसिपल सेशंस कोर्ट में मामला चला, जिसमें जज हनी एम वर्गीज़ हैं।

एक्टर दिलीप पर इस मामले में साज़िश रचने का आरोप था।

एर्नाकुलम प्रिंसिपल सेशंस कोर्ट की जज हनी एम वर्गीज़ ने सोमवार को इस मामले में फ़ैसला सुनाया। जानकारी के अनुसार स्पेशल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर वी अजयकुमार ने बताया, "इस मामले में 12 दिसंबर को सज़ा सुनाई जाएगी।"

इस मामले से पूरे राज्य में गुस्सा फैल गया था और मलयालम फ़िल्म इंडस्ट्री में बड़े बदलाव हुए, जिसके बाद हाई कोर्ट के आदेश पर कई 'मी टू' मामले दर्ज किए गए।

पूरा मामला

प्रॉसिक्यूशन यानी अभियोजन पक्ष की ओर से पेश किए गए मामले के अनुसार, 17 फ़रवरी, 2017 को एर्नाकुलम के अंगमाली के पास एक गाड़ी ने एक्टर की कार को पीछे से टक्कर मारी थी।

छह लोग ड्राइवर से भिड़ते हुए जबरन कार में घुस गए और उसे नेशनल हाईवे पर ले गए। पल्सर सुनी, जिसे एनएस सुनी के नाम से भी जाना जाता है, उन्होंने महिला एक्टर का यौन उत्पीड़न किया और अपने मोबाइल फ़ोन में इसकी रिकॉर्डिंग की। बाद में महिला एक्टर को एक फ़िल्म डायरेक्टर के घर के बाहर छोड़ दिया गया। कोर्ट ने इस मामले में पल्सर सुनी (आरोपी नंबर एक), मार्टिन एंटनी, बी मणिकंदन, वीपी विजीश, वादिवल सलीम और प्रदीप को दोषी ठहराया है।

अभियुक्तों पर गैंगरेप, साज़िश रचने, महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने, ग़लत तरीके़ से कैद करने, आपराधिक बल का इस्तेमाल करने, सबूत नष्ट करने, अश्लील तस्वीरें लेने और बांटने का आरोप था।

इसमें एक्टर दिलीप को साज़िश रचने के आरोप से बरी कर दिया गया है।

अजयकुमार ने कहा, "अभियोजन पक्ष आरोपी नंबर एक से लेकर आरोपी नंबर छह को दोषी साबित करने में सफल रहा। लेकिन, दुर्भाग्य से, कोर्ट ने आरोपी नंबर एक और आरोपी नंबर आठ (दिलीप) के बीच संबंध को सही नहीं पाया। पूरा फ़ैसला आने दीजिए।"

मामले में बरी किए जाने के बाद एक्टर दिलीप ने क्या कहा?

फ़ैसला सुनाए जाने के बाद, दिलीप ने पत्रकारों से कहा, "असली साज़िश मुझे इस मामले में अभियुक्त बनाने और मेरे करियर को ख़त्म करने की थी।"

इस मामले में कई उतार-चढ़ाव आए, जिससे पूरे राज्य में विरोध प्रदर्शन हुए, लेकिन इसका सबसे ज़्यादा असर मलयालम फ़िल्म इंडस्ट्री पर पड़ा। इससे वीमेन इन सिनेमा कलेक्टिव (डब्ल्यूसीसी) का गठन हुआ, जिसके लगातार प्रयासों से राज्य सरकार ने इंडस्ट्री में महिलाओं को होने वाली समस्याओं की जांच के लिए जस्टिस के। हेमा समिति को नियुक्त किया था।∎