महिला आरक्षण विधेयक क्या है? यह महिलाओं के लिए किस प्रकार सहायक है?

संसद के विशेष सत्र में महिला आरक्षण : अगर महिला आरक्षण बिल राज्यसभा में पास हो गया तो लोकसभा, दिल्ली विधानसभा और सभी राज्यों की विधानसभाओं में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण मिलेगा।

इस ऐतिहासिक बदलाव के बाद सक्रिय राजनीति में बढ़ेगी महिलाओं की भागीदारी

  • महिलाओं के लिए 33 फीसदी सीटें आरक्षित
    महिला आरक्षण विधेयक - इस विधेयक में लोकसभा में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित की गई हैं। इसे 128वें संविधान संशोधन विधेयक के तहत पेश किया गया है। इस संशोधन के बाद लोकसभा में एक तिहाई भागीदारी महिलाओं की होगी। यह विधेयक महिला सशक्तिकरण को मजबूत करेगा और आधी आबादी के प्रतिनिधित्व को भी बढ़ावा देगा। इसके तहत अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आवंटित सीटों में से भी 33 प्रतिशत सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित की जाएंगी।
  • महिलाओं की भागीदारी बढ़ेगी
    महिला आरक्षण विधेयक में दिल्ली विधानसभा में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाने का भी प्रावधान है। इसके तहत दिल्ली विधानसभा में महिलाओं की एक तिहाई भागीदारी भी अनिवार्य हो जाएगी। इससे राष्ट्रीय राजधानी में महिलाओं को सक्रिय राजनीति में आगे बढ़ने की गति मिलेगी। इस कानून के बाद लोकसभा में कम से कम 181 महिला सांसद चुनी जाएंगी, फिलहाल सदन में महिला सदस्यों की संख्या 82 है।
  • 15 साल तक आरक्षण का असर रहेगा
    अगर यह बिल पास हो गया तो लोकसभा, दिल्ली विधानसभा और सभी राज्यों की विधानसभाओं में महिलाओं की भागीदारी बढ़ जाएगी। महिलाओं के लिए लाया गया आरक्षण 15 साल तक लागू रहेगा। इसके साथ ही प्रावधान है कि सीटों का आवंटन रोटेशन प्रणाली के तहत किया जाएगा।
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किसी भी सांसद ने विरोध में नहीं दिया वोट

सभा ने गुरुवार (21 सितंबर) को लोकसभा के साथ-साथ राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने वाले विधेयक को सर्वसम्मति से पारित कर दिया। बिल के समर्थन में 214 सांसदों ने वोट किया। वहीं, किसी भी सांसद ने इस बिल के खिलाफ वोट नहीं किया। महिला आरक्षण विधेयक पिछले 27 वर्षों से लंबित है। इसे पहली बार 12 सितंबर, 1996 को एचडी देवेगौड़ा सरकार द्वारा पेश किया गया था।

https://www.ultranewstv.com/news/what-is-womens-reservation-bill-how-is-it-helpful-for-women/