अमेरिकी पीस प्लान पर बड़ा विवाद: जी-20 में होगी चर्चा, ज़ेलेंस्की ने शर्तों को यूक्रेन के लिए ‘सबसे कठिन दौर’ बताया

अमेरिका द्वारा प्रस्तावित रूस-यूक्रेन युद्धविराम (पीस) योजना को लेकर अब महत्वपूर्ण मोड़ आ गया है क्योंकि यूक्रेन के प्रमुख सहयोगी देशों में इस पर गहन चर्चा शुरू हो रही है। यह बातचीत दक्षिण अफ़्रीका में होने वाले जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान आयोजित हो सकती है, जिससे यह प्रस्ताव अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक स्थिरता और मान्यता की दिशा में एक बड़े कदम के रूप में देखा जा रहा है।

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीएर स्टार्मर ने स्पष्ट किया है कि यूक्रेन-समर्थक देश अमेरिका की इस युद्ध समाप्ति पहल को एक जुट होकर आगे बढ़ाएंगे। उन्होंने कहा कि यह न सिर्फ संघर्ष की समाप्ति का अवसर है, बल्कि भविष्य की सुरक्षा व्यवस्था में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

हालाँकि, यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की इस प्रस्ताव के प्रति उत्साही नहीं हैं। उनके अनुसार, “जिस अमेरिकी योजना को मानने का दबाव बनाया जा रहा है, वह यूक्रेन के इतिहास के सबसे कठिन समय में उन्हें और कमजोर कर सकती है।” ज़ेलेंस्की ने शुक्रवार को ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीएर स्टार्मर के अलावा फ़्रांस और जर्मनी के शीर्ष नेताओं के साथ भी दूरभाष पर बातचीत की, जिसमें उन्होंने इस प्रस्ताव पर अपनी गहरी चिंताएँ व्यक्त कीं।

मीडिया में लीक हुई इस शांति योजना में कुल 28 बिंदु शामिल हैं। इनमें विशेष रूप से महत्वपूर्ण शर्तें यह हैं:

  • यूक्रेन को पूर्वी दोनेत्स्क क्षेत्र से पीछे हटने की मांग।

  • उसकी सशस्त्र सेनाओं को कम-संख्या में सीमित करने का प्रस्ताव।

  • एक कानूनी गारंटी देना कि यूक्रेन भविष्य में NATO (नाटो) का सदस्य नहीं बनेगा।

ये वे ही शर्तें हैं जिन्हें यूक्रेन ने पहले भी अस्वीकार किया था, क्योंकि उनके अनुसार ये देश की सार्वभौमिकता और सुरक्षा को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकती हैं।

यह प्रस्ताव उस पृष्ठभूमि में आया है जब रूस ने 2022 में पूर्ण पैमाने पर यूक्रेन पर हमला किया था और तब से रूस यूक्रेन के लगभग 20 प्रतिशत क्षेत्र पर कब्ज़ा बनाए हुए है। इसके अलावा, यह कदम ऐसे समय हो रहा है जब वैश्विक शक्तियाँ युद्ध के मानवीय, आर्थिक और भू-राजनीतिक प्रभावों को कम करने की कोशिश कर रही हैं।

यदि यह शांति प्रस्ताव जी-20 देशों द्वारा समर्थित हो जाता है, तो यह न केवल युद्धविराम की दिशा में एक बड़ा राजनीतिक संकेत होगा, बल्कि यह भविष्य में यूरोपीय सुरक्षा वास्तुकला में भी नए समीकरण बना सकता है। वहीं, अगर यूक्रेन इस योजना को स्वीकार करने में हिचकिचाता है, तो यह संघर्ष को एक और लंबी और जटिल चरण में ले जा सकता है।