मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, हाल ही में हुई बैठक में 'मानरेगा' (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) का बदलने पर प्रियंका गांधी ने अपनी प्रतिक्रिया दी, बताया जा रहा है, मनरेगा का नाम बदलकर 'पूज्य बापू ग्रामीण रोज़गार योजना' करने का निर्णय लिया गया है।
उन्होंने कहा कि ऐसी चीज़ों से 'सरकार के रिसोर्सेज़ व्यर्थ होते हैं और पैसे भी लगते हैं'। हालांकि, मनरेगा का नाम बदलने को लेकर अभी तक सरकार की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
आपको बता दें ये योजना वर्ष 2005 में राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम (NREGA) के नाम से आई थी, आगे चलकर इस योजना के नाम में महात्मा गांधी का नाम 2009 में जोड़ा गया और इसे मानरेगा बनाया गया। इसका उद्देश्य ग्रामीण परिवारों को सालभर में 100 दिनों के रोज़गार की गारंटी देना था। और अब इसे बढ़ा कर 125 दिन कर दिया गया है।
कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने कहा, "मैं समझ नहीं सकती कि इसके पीछे मानसिकता क्यों है, क्या है? क्योंकि इसमें महात्मा गांधी जी का नाम है।"
उन्होंने कहा, "दूसरा ये कि जब भी नाम बदला जाता है तो सरकार के रिसोर्सेज़ फिर से व्यर्थ होते हैं। क्योंकि हर चीज़ को रीनेम करना होता है, सारे ऑफ़िस रीनेम होते हैं, सब कुछ रीनेम करना पड़ता है तो एक बड़ी एक्सरसाइज़ होती है, जिसमें पैसे भी लगते हैं।"
सूत्रों के अनुसार, योजना के तहत न्यूनतम मजदूरी को संशोधित करके ₹240 प्रति दिन तक किया जा सकता है।
इससे पहले न्यूनतम मूल्य इस प्रकार थे:
₹240 प्रति दिन के हिसाब से ये राशि अब मूल राशि 6,000 रुपया प्रतिवर्ष से बढ़ जाएगी, इस राशि का सीधा लाभ गरीबी रेखा से नीचे के लोगों को पहुंचेगा। इस अतिरिक्त आए से उनकी क्रय शक्ति में वृद्धि की संभावना है जिससे देश के विकास की ओर एक कदम समझ जाना चाहिए।