राहुल गांधी ने की जी राम जी बिल पर टिप्पणी, बोले 'केंद्रीकृत नियंत्रण का एक ज़रिया'

लोकसभा में नए बिल पर विपक्ष के नेताओं ने अपनी अपनी प्रतिक्रिया दी है जिसमें, अब राहुल गांधी का कहना है कि वे सड़क से संसद तक विकसित भारत- गारंटी फ़ॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण) यानी विकसित भारत- जी राम जी बिल का विरोध करेंगे।

उन्होंने इस बिल को 'जन विरोधी' और 'महात्मा गांधी के आदर्शों का सीधा अपमान' बताते हुए एक्स पर एक पोस्ट किया है।

इस बिल को आड़े हाथ लेते हुए वे प्रधानमंत्री मोदी पर टिप्पणी लिखते हैं, "मोदी जी को दो चीज़ों से बहुत नफ़रत है- महात्मा गांधी के विचारों से और गरीबों के अधिकारों से।"

"मनरेगा महात्मा गांधी के ग्राम स्वराज की परिकल्पना का जीता-जागता उदाहरण है। यह लाखों ग्रामीण भारतीयों के लिए जीवन रेखा रही है और कोविड महामारी के दौरान एक ज़रूरी आर्थिक सुरक्षा कवच साबित हुई है।"

"फिर भी, यह योजना हमेशा पीएम मोदी को परेशान करती रही है। पिछले दस सालों से, उनकी सरकार ने इसे कमज़ोर करने की लगातार कोशिश की है। आज, वह मनरेगा को पूरी तरह से ख़त्म करने पर तुले हुए हैं।"

मनरेगा के बारे में उन्होंने लिखा,

"मनरेगा तीन बुनियादी सिद्धांतों पर बनी थी:

  1. रोज़गार का अधिकार - जो भी काम मांगेगा, उसे रोज़गार दिया जाएगा
  2. गांवों को अपने विकास कार्यों का फ़ैसला करने की आज़ादी
  3. केंद्र सरकार द्वारा पूरी मज़दूरी और 75% माल की लागत का समर्थन"

राहुल गांधी का कहना है कि वे (भाजपा) इस सरकारी स्कीम (मनरेगा) को 'केंद्रीकृत नियंत्रण का एक ज़रिया' बनाना चाहते हैं।

राहुल गांधी ने लिखा कि "बजट, योजनाएं और नियम केंद्र द्वारा तय किए जाएंगे, राज्यों को 40 प्रतिशत लागत उठाने के लिए मजबूर किया जाएगा और जब फ़ंड खत्म हो जाएगा, या फ़सल कटाई के मौसम में, मज़दूरों को महीनों तक रोज़गार नहीं दिया जाएगा।

उन्होंने लिखा, "भारी बेरोज़गारी के ज़रिए भारत के युवाओं का भविष्य बर्बाद करने के बाद, मोदी सरकार अब गरीब ग्रामीण परिवारों की सुरक्षित आजीविका को निशाना बना रही है।"