रायगढ़: कोयला खदान के खिलाफ प्रदर्शन में भारी हिंसा, पुलिस पर पथराव और गाड़ियों में आगजनी

छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले के तमनार क्षेत्र में 'जिंदल पावर लिमिटेड' (JPL) की कोयला खदान परियोजना के खिलाफ चल रहा आंदोलन शनिवार को हिंसक हो गया। पिछले 15 दिनों से शांतिपूर्ण ढंग से धरने पर बैठे ग्रामीणों और पुलिस के बीच हुई इस झड़प में कई पुलिसकर्मी और ग्रामीण घायल हुए हैं। उग्र भीड़ ने एसडीएम (SDM) की गाड़ी सहित तीन वाहनों को आग के हवाले कर दिया।

घटनाक्रम: शांतिपूर्ण धरना कैसे बना युद्ध का मैदान?

तमनार के गरे पेलमा सेक्टर-1 कोयला ब्लॉक से प्रभावित 14 गांवों के ग्रामीण 12 दिसंबर से लीब्रा गांव के पास अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे थे। विवाद की मुख्य जड़ 8 दिसंबर को हुई वह जनसुनवाई (Public Hearing) है, जिसे ग्रामीण 'फर्जी' करार दे रहे हैं।

शनिवार सुबह करीब 10 बजे प्रशासन और पुलिस की टीम प्रदर्शनकारियों को सड़क से हटाने और यातायात बहाल करने पहुँची। ग्रामीणों का आरोप है कि पुलिस ने जबरन हिरासत लेना शुरू किया, जिससे अफरा-तफरी मच गई। इसी दौरान एक प्रदर्शनकारी ग्रामीण पुलिस के वाहन की चपेट में आकर गंभीर रूप से घायल हो गया, जिसके बाद भीड़ का गुस्सा फूट पड़ा।

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हिंसा और आगजनी का तांडव

दोपहर करीब 2:30 बजे स्थिति अनियंत्रित हो गई। भीड़ ने पुलिस पर पथराव शुरू कर दिया, जिससे तमनार थाना प्रभारी कमला पुसाम सहित कई पुलिसकर्मी घायल हो गए। प्रदर्शनकारियों ने:

  • एसडीएम और पुलिस की गाड़ियों में आग लगा दी।

  • जिंदल पावर लिमिटेड के कोयला हैंडलिंग प्लांट (CHP) में घुसकर तोड़फोड़ की।

  • प्लांट के भीतर कन्वेयर बेल्ट, ट्रैक्टर और कार्यालय परिसर को नुकसान पहुँचाया।

प्रशासन और पुलिस का पक्ष

रायगढ़ कलेक्टर मयंक चतुर्वेदी ने बताया कि प्रशासन पिछले 15 दिनों से ग्रामीणों को बुनियादी सुविधाएं दे रहा था और बातचीत की कोशिश कर रहा था। उन्होंने कहा, "कुछ असामाजिक तत्वों ने भीड़ को उकसाया, जिसके बाद यह हिंसा हुई। पुलिसकर्मियों को जान बचाकर भागना पड़ा।" वर्तमान में स्थिति तनावपूर्ण लेकिन नियंत्रण में है और इलाके में अतिरिक्त बल तैनात किया गया है।

विवाद के गहरे कारण

यह आंदोलन केवल एक खदान का नहीं, बल्कि जमीन और पर्यावरण की सुरक्षा का है। ग्रामीणों के मुख्य मुद्दे हैं:

  1. फर्जी जनसुनवाई: ग्रामीणों का दावा है कि प्रशासन ने उनकी आपत्तियों को सुने बिना ही कागजी कार्रवाई पूरी कर ली।

  2. पेसा (PESA) कानून का उल्लंघन: 5वीं अनुसूची के क्षेत्र होने के नाते, ग्राम सभा की अनुमति अनिवार्य है, जिसका उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया है।

  3. पर्यावरण का विनाश: तमनार क्षेत्र पहले से ही औद्योगिक प्रदूषण की मार झेल रहा है, और नई खदान से 14 गांवों के अस्तित्व पर संकट मंडरा रहा है।

राजनीतिक प्रतिक्रिया: छत्तीसगढ़ कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज ने इस घटना को सरकार की 'हठधर्मिता' बताया और आरोप लगाया कि उद्योगपतियों के इशारे पर आदिवासियों की जमीन छीनी जा रही है।