अरावली को लेकर सचिन पायलट ने दी प्रतिक्रिया, क्या है नई परिभाषा?

हाल ही में चल रहे अरावली पर्वत शृंखला को लेकर राजस्थान की जनता भड़की हुई है, साथ ही अब विपक्ष ने इसका मुद्दा बना लिया है, जिससे अब ये मुद्दा और आग पकड़ रहा है, इसी क्रम में कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने जयपुर में एनएसयूआई राजस्थान के 'सेव द अरावली' मार्च में हिस्सा लिया और सरकार पर तीखी प्रतिक्रिया दी।

दरअसल, कोर्ट की ओर से भारत की प्राचीन पहाड़ियों के और सभी पहाड़ियों के संदर्भ में नए नियम दिए जिसमें कहा गया है PIB(ref)

कांग्रेस अरावली पहाड़ियों की 'नई परिभाषा' के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रही है। ये लोग अरावली को सुरक्षा देने की मांग कर रहे हैं।

कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने दावा किया कि अगर अरावली पहाड़िया न हों तो रेगिस्तान दिल्ली तक पहुंच सकता है।

उन्होंने कहा, "राजस्थान में रेगिस्तान का जो फैलाव है वह अरावली पर्वतमाला की वजह से रुका हुआ है। अगर वह कुछ सालों बाद नष्ट हो जाएगा, तो दिल्ली तक रेगिस्तान पहुंच सकता है।"

केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा, "सरकार या तो विवश है या मजबूर है। अभी तक इस मामले को सुलझाने के लिए सरकार सुप्रीम कोर्ट नहीं गई है।"

"ये डबल इंजन नहीं बल्कि चार इंजन वाली सरकार है और ये चारों इंजन दौड़ रहे हैं कि कैसे अरावली पर्वत को नष्ट किया जाए।"

क्या है मामला?

केंद्र सरकार की सिफ़ारिशों के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अरावली की जिस परिभाषा को स्वीकार किया है, उसके अनुसार आसपास की ज़मीन से कम से कम 100 मीटर (328 फीट) ऊँचे ज़मीन के हिस्से को ही अरावली पहाड़ी माना जाएगा।

दो या उससे ज़्यादा ऐसी पहाड़ियाँ, जो 500 मीटर के दायरे के अंदर हों और उनके बीच ज़मीन भी मौजूद हो, तब उन्हें अरावली शृंखला का हिस्सा माना जाएगा।

पर्यावरणविदों का कहना है कि सिर्फ़ ऊँचाई के आधार पर अरावली को परिभाषित करने से कई ऐसी पहाड़ियों पर खनन और निर्माण के लिए दरवाज़ा खुल जाने का ख़तरा पैदा हो जाएगा, जो 100 मीटर से छोटी हैं, झाड़ियों से ढँकी हैं और पर्यावरण के लिए ज़रूरी हैं।

अरावली पहाड़ियों की 'नई परिभाषा' पर हो रहे विरोध के बीच पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने एक बयान जारी किया है।

बयान के मुताबिक़, केंद्र सरकार ने राज्यों को निर्देश जारी कर अरावली क्षेत्र में किसी भी नई माइनिंग लीज़ को देने पर पूरी तरह रोक लगा दी है। यह प्रतिबंध पूरी अरावली पर समान रूप से लागू होगा।∎