राहुल गांधी पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी 'आपको कैसे पता कि चीन ने ज़मीन कब्ज़ा ली'

सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी को राहत देते हुए निचली अदालत में मानहानि मामले की कार्यवाही पर रोक लगा दी है। यह मामला साल 2020 में भारतीय सैनिकों और चीनी सैनिकों के बीच गलवान घाटी में हुए संघर्ष पर दिए एक बयान से जुड़ा हुआ है। जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस ए।जी। मसीह की बेंच ने सुनवाई के दौरान राहुल गांधी के बयान पर असहमति जताते हुए तल्ख़ टिप्पणी की। लाइव लॉ के मुताबिक़, इस मामले में राहुल गांधी की तरफ़ से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी पैरवी कर रहे थे।

सिंघवी ने कोर्ट में कहा, "जो बातें मीडिया में छपीं, अगर वह यह सब नहीं बोल सकते तो फिर विपक्ष के नेता नहीं हो सकते हैं।" इस पर जस्टिस दत्ता ने कहा, "आपको जो कुछ भी कहना है वह आप संसद में क्यों नहीं कहते? आपको यह सब सोशल मीडिया पर कहने की क्या ज़रूरत है?" उन्होंने कहा, "आपको यह कैसे पता चला कि भारत की दो हज़ार वर्ग किलोमीटर ज़मीन चीन ने कब्ज़ा ली है? क्या आप वहां मौजूद थे? क्या आपके पास कोई विश्वसनीय जानकारी है?"

जस्टिस दत्ता ने कहा, "अगर आप सच्चे भारतीय हैं, तो ऐसा नहीं कहेंगे।" लाइव लॉ के मुताबिक़, इस मामले में लखनऊ की एमपी-एमएलए अदालत ने फ़रवरी 2025 में राहुल गांधी के ख़िलाफ़ समन जारी किया था। इसके ख़िलाफ़ राहुल गांधी ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में अपील दायर की थी, जिसे हाई कोर्ट ने ख़ारिज कर दिया था।

राहुल गांधी के ख़िलाफ़ यह मामला बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन (बीआरओ) के पूर्व डायरेक्टर उदय शंकर श्रीवास्तव ने दर्ज कराया था।

समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक़, राहुल गांधी ने 16 दिसंबर 2022 को 'भारत जोड़ो यात्रा' के दौरान कहा था, "लोग भारत जोड़ो यात्रा के बारे में सवाल करेंगे, लेकिन वे इस बारे में एक भी सवाल नहीं करेंगे कि चीन ने अरुणाचल प्रदेश में 20 भारतीय जवानों की हत्या कर भारत की दो हज़ार वर्ग किलोमीटर ज़मीन कब्ज़ा ली है। भारतीय मीडिया इस बारे में एक भी सवाल नहीं करेगा।"