2016 में, हर्षा भोगले को आईपीएल के लिए बीसीसीआई के कमेंट्री पैनल से अचानक हटा दिया गया था - बिना किसी आधिकारिक स्पष्टीकरण के। इससे प्रशंसक हैरान रह गए, क्योंकि हर्षा क्रिकेट कमेंट्री में सबसे सम्मानित हस्तियों में से एक थे।
असली वजह? कथित तौर पर, उन्होंने 2016 के टी20 विश्व कप के दौरान स्टेडियम स्टाफ द्वारा विदेशी खिलाड़ियों के साथ किए गए बुरे व्यवहार की आलोचना की थी - जो भारतीय क्रिकेट के कुछ प्रभावशाली लोगों को रास नहीं आया।
कोई गाली-गलौज नहीं हुई, कोई विवाद नहीं हुआ - बस उनकी ईमानदार, निष्पक्ष कमेंट्री थी, और इसी वजह से उन्हें चुपचाप हटा दिया गया। इससे एक बहस छिड़ गई:
"क्या एक कमेंटेटर को सिर्फ़ तारीफ़ करनी चाहिए या सच बोलना चाहिए?"
उन्होंने कोई बड़बड़ाना या विरोध नहीं किया। उन्होंने बस इतना कहा:
"अगर मैं अच्छा नहीं हूँ, तो मैं चला जाऊँगा।"
और वह और भी मज़बूती से लौटे - YouTube, Cricbuzz और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर।
"ना मैच फिक्सिंग, ना विवाद...सिर्फ सच बोला था हर्षा भोगले ने। पर क्रिकेट के सिस्टम को वो खतरनाक नहीं हुआ..."
हर्षा भोगले भारतीय क्रिकेट जगत का एक ऐसा नाम हैं, जिन्होंने अपनी आवाज़ और शब्दों से क्रिकेट को एक नई ऊंचाई दी है। वे सिर्फ एक कॉमेंटेटर नहीं, बल्कि एक ऐसा चेहरा हैं, जिनकी बातें सुनकर लाखों क्रिकेट प्रेमी खेल का आनंद और भी अधिक महसूस करते हैं।
| जन्म |
19 जुलाई 1961 |
| शिक्षा | Osmania University, Hyderabad Indian Institute of Management, Ahmedabad |
| पेशा | TVcommentator/presenter |
| जीवनसाथी | Anita |
| बच्चे | Chinmay and Satchit |
हर्षा भोगले का जन्म 19 जुलाई 1961 को भारत के हैदराबाद शहर में हुआ था। उनके पिता ए. डी. भोगले एक प्रोफेसर थे और माता फ्रेंच भाषा की प्रोफेसर थीं। एक शिक्षित परिवार से आने वाले हर्षा ने केमिकल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन आईआईटी बॉम्बे से किया और फिर इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, अहमदाबाद से मैनेजमेंट की पढ़ाई पूरी की।

हालांकि हर्षा ने कभी भारत के लिए अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट नहीं खेला, लेकिन वह हैदराबाद की ओर से जूनियर क्रिकेट खेल चुके हैं। उनका क्रिकेट के प्रति जुनून और गहरी समझ ही उन्हें इस खेल से जुड़ी पत्रकारिता और कमेंट्री की ओर ले गई।
test matches, like life, always offer a second chance, encouraging players and individuals to not give up.
हर्षा भोगले ने अपने कमेंट्री करियर की शुरुआत 19 साल की उम्र में की, जब उन्होंने ऑल इंडिया रेडियो पर स्थानीय मैचों की कमेंट्री करना शुरू किया। 1991 में उन्हें ऑस्ट्रेलिया में भारतीय टीम की टेस्ट सीरीज़ के लिए ऑस्ट्रेलियन ब्रॉडकास्टिंग कॉर्पोरेशन (ABC) ने आमंत्रित किया – और वे पहले भारतीय बने जिन्हें विदेशी रेडियो नेटवर्क पर कमेंट्री का मौका मिला।
इसके बाद उन्होंने ESPN, Star Sports, BBC और कई अन्य प्रतिष्ठित नेटवर्क्स के लिए काम किया और क्रिकेट की दुनिया में एक पहचान बना ली।

हर्षा की कमेंट्री की खास बात यह है कि वे अपने शब्दों में गहराई, हास्य और सरलता को समेटते हैं। वे तकनीकी ज्ञान के साथ-साथ खिलाड़ियों की मानसिकता को भी समझने की क्षमता रखते हैं, जो उन्हें एक अलग मुकाम देता है।
उनके लोकप्रिय कथनों और चुटीले अंदाज़ ने उन्हें क्रिकेट दर्शकों के बीच बेहद प्रिय बना दिया है। वे कठिन स्थितियों को भी सहज और मनोरंजक भाषा में प्रस्तुत करते हैं।
हर्षा भोगले एक सफल लेखक भी हैं। उन्होंने कई किताबें लिखी हैं, जैसे The Winning Way (अपनी पत्नी अनीता भोगले के साथ)। यह किताब सिर्फ क्रिकेट ही नहीं, बल्कि नेतृत्व और टीमवर्क पर भी गहराई से प्रकाश डालती है। वे कई कॉर्पोरेट इवेंट्स और मोटिवेशनल सेमिनार्स में वक्ता के रूप में भी सक्रिय रहते हैं।
हर्षा भोगले को न केवल भारत में, बल्कि पूरी दुनिया में क्रिकेट कमेंट्री के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए सराहा गया है। वे क्रिकेट के "ग्लोबल वॉइस" माने जाते हैं।
हर्षा भोगले इस बात का एक प्रेरक उदाहरण हैं कि कैसे जुनून, ज्ञान और कड़ी मेहनत किसी को बिना क्रिकेट खेले ही खेल की सबसे प्रभावशाली आवाज़ों में से एक बना सकती है। लाखों क्रिकेट प्रशंसकों के लिए वे मैच का सबसे दिलचस्प हिस्सा बने रहते हैं, क्योंकि जब वे बोलते हैं, तो क्रिकेट बोलता है।