जॉन ड्राइडन (1631–1700) अंग्रेजी साहित्य के एक महान कवि, नाटककार और आलोचक थे। वे 17वीं शताब्दी के सबसे प्रभावशाली साहित्यकार माने जाते हैं। उन्हें अंग्रेजी साहित्य के "रेस्टोरेशन युग" (पुनर्स्थापना काल) का प्रतिनिधि लेखक माना जाता है। ड्राइडन ने कविता, नाटक और आलोचना – तीनों ही क्षेत्रों में अद्वितीय योगदान दिया।
Born |
9 August 1631 Aldwincle, Northamptonshire, England |
Died |
1 May 1700 London, England |
Spouse |
Lady Elizabeth Howard |
Children |
Charles, John, and Erasmus Henry |
Alma mater |
Westminster School Trinity College, Cambridge |
Occupation |
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Writing career |
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Language |
English |
Period |
1659–1700 |
Genre |
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Subject |
Politics and other |
Literary movement |
Classicism |
ड्राइडन का जन्म 9 अगस्त 1631 को नॉर्थहैम्पटनशायर, इंग्लैंड में हुआ था। उन्होंने वेस्टमिंस्टर स्कूल और फिर कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के ट्रिनिटी कॉलेज से शिक्षा प्राप्त की। बचपन से ही वे अध्ययनशील और लेखन में रुचि रखने वाले व्यक्ति थे।
ड्राइडन का लेखन कार्य अंग्रेजी कविता और नाटक को नई दिशा देने वाला था। उनके प्रमुख कार्यों में निम्नलिखित शामिल हैं:
ड्राइडन ने कई नाटक भी लिखे, जैसे – "All for Love", जो शेक्सपियर के "एंटनी और क्लियोपेट्रा" का पुनर्लेखन था। उनके नाटक शैली में स्पष्टता, संवाद की शक्ति और सामाजिक-राजनीतिक टिप्पणियाँ प्रमुख थीं।
1668 में जॉन ड्राइडन को “Poet Laureate” (राजकवि) की उपाधि दी गई। यह एक अत्यंत सम्मानजनक पद था, जो उन्हें उनके उत्कृष्ट काव्य योगदान के लिए दिया गया था।
जॉन ड्राइडन का निधन 1 मई 1700 को लंदन में हुआ। उन्हें वेस्टमिंस्टर ऐबी में दफनाया गया, जहाँ अन्य कई प्रसिद्ध साहित्यकारों की समाधियाँ भी हैं।
जॉन ड्राइडन न केवल एक महान कवि थे, बल्कि एक युगद्रष्टा आलोचक भी थे। उन्होंने अंग्रेजी साहित्य में तर्क, व्याकरणिक स्पष्टता और शैली की गरिमा को स्थापित किया। उनका योगदान आज भी साहित्यकारों और छात्रों के लिए प्रेरणास्रोत है।