भारत के उप प्रधानमंत्री का पद, तकनीकी रूप से एक संवैधानिक पद नहीं है, न ही संविधान में इसका कोई उल्लेख है। परन्तु ऐतिहासिक रूप से, अनेक अवसरों पर विभिन्न सरकारों ने अपने किसी एक वरिष्ठ मंत्री को "उप-प्रधानमंत्री" निर्दिष्ट किया है। इस पद को भरने की कोई संवैधानिक अनिवार्यता नहीं है, न ही यह पद किसी प्रकार की विशेष शक्तियाँ प्रदान करता हैं। आम तौर पर वित्तमंत्री या रक्षामंत्री जैसे वरिष्ठ कैबिनेट मन्त्रियों को इस पद पर स्थापित किया जाता है, जिन्हें प्रधानमन्त्री के बाद, सबसे वरिष्ठ माना जाता है। अमूमन इस पद का उपयोग, गठबन्धन सरकारों में मज़बूती लाने हेतु किया जाता रहा है। इस पद के पहले धारक सरदार वल्लभभाई पटेल थे, जोकि जवाहरलाल नेहरू की कैबिनेट में गृहमंत्री थे। कई अवसरों पर ऐसा होता रहा है की प्रधानमन्त्री की अनुपस्थिति में उपप्रधानमन्त्री संसद या अन्य स्थानों पर उनके स्थान पर सरकार का प्रतिनिधित्व करते हैं, एवं कैबिनेट की बैठकों की अध्यक्षता कर सकते हैं।
भारत का उप-प्रधानमंत्री केंद्रीय मंत्रिपरिषद का एक वरिष्ठ सदस्य होता है जो शासन, निर्णय लेने में प्रधानमंत्री की सहायता करता है और विभिन्न क्षमताओं (पोर्टफोलियो) में राष्ट्र का प्रतिनिधित्व करता है। हालाँकि इस पद की कोई परिभाषित संवैधानिक भूमिका नहीं है, फिर भी यह सरकार की संरचना में महत्व रखता है।
भारत के उप-प्रधानमंत्री — Deputy Prime Ministers of India | कार्यकाल —Tenure | प्रधानमंत्री — Prime Minister |
सरदार वल्लभभाई पटेल – Sardar Patel | 1947–1950 | जवाहरलाल नेहरू – Jawaharlal Nehru |
मोरारजी देसाई – Morarji Desai | 1967–1969 | इंदिरा गाँधी – Indira Gandhi |
चौधरी चरण सिंह – Chaudhary Charan Singh | 1979–1979 | मोरारजी देसाई – Morarji Desai |
जगजीवन राम – Jagjivan Ram | ||
वाई. बी. चव्हाण – Y. B. Chavan | 1979–1980 | चौधरी चरण सिंह – Chaudhary Charan Singh |
देवी लाल – Devi Lal | 1989–1990 | वी. पी. सिंह – V.P. Singh |
1990–1991 | चंद्रशेखर – Chandra Shekhar | |
लालकृष्ण आडवाणी – Lal Krishna Advani | 2002–2004 | अटल बिहारी वाजपेयी – Atal Bihari Vajpayee |
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भारत में कितने प्रधान मंत्री रह चुके है तथा वह क्या भूमिका निभाते है ये तो आप सभी जानते होंगे,लेकिन क्या आपको पता है कि भारत में पहले कितने उप प्रधान मंत्री रह चुके है ? जी हाँ आज हम बात करेंगे भारत में उत्तम भूमिका निभाने वाले उप प्रधान मंत्रियों की, इससे पहले आपको बता दें कि भारत के उप-प्रधानमंत्री काम क्या करते है ? यह केंद्रीय मंत्रिपरिषद का एक वरिष्ठ सदस्य होता है जो शासन निर्णय लेने में प्रधानमंत्री की सहायता करता है और विभिन्न क्षमताओं में राष्ट्र का प्रतिनिधित्व करता है। हालाँकि इस पद की कोई परिभाषित सवैधानिक भूमिका नहीं है, फिर भी यह सरकार की संरचना में महत्व रखता है। अब की बात करे तो वर्तमान समय में भारत में कोई भी उप प्रधान मंत्री नहीं है यह स्थान 23 मई 2004 से रिक्त है। साथ ही आपको बता दें कि भारत के सबसे पहले उप प्रधान मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल थे तथा अंतिम बार लाल कृष्ण आडवाणी ने उप प्रधान मंत्री का पद संभाला था।
15 अगस्त, 1947 को, जब भारत को स्वतंत्रता मिली, तब से अब तक भारत के 7 उपप्रधान मंत्री हो चुके हैं। वर्तमान सरकार में कोई उपप्रधानमंत्री नहीं है और यह पद 23 मई, 2004 से रिक्त है।
भारत में उपप्रधानमंत्री की भूमिका के बारे में मुख्य बातें:
कोई संवैधानिक शक्ति नहीं: भारत के उपप्रधानमंत्री के पास प्रधानमंत्री जैसी कोई संवैधानिक शक्तियां नहीं होती हैं। वह प्रधानमंत्री की अनुपस्थिति में खुद ही उनके कार्य नहीं संभाल सकते, जब तक कि प्रधानमंत्री खुद उन्हें ऐसा करने के लिए अधिकृत न करें।
राजनीतिक पद: यह पद आमतौर पर राजनीतिक कारणों से बनाया जाता है। जैसे:
गठबंधन को बनाए रखना: गठबंधन सरकार में किसी बड़े सहयोगी दल के नेता को यह पद देकर उसे महत्व देना।
आंतरिक संतुलन: किसी पार्टी के भीतर के वरिष्ठ नेता को सम्मानजनक पद देकर गुटबाजी या आंतरिक असंतोष को रोकना।
मंत्री के रूप में कार्य: भारत में उपप्रधानमंत्री के पास वही शक्तियाँ होती हैं जो एक कैबिनेट मंत्री के पास होती हैं। उन्हें अक्सर गृह मंत्रालय, वित्त मंत्रालय या रक्षा मंत्रालय जैसे महत्वपूर्ण विभाग दिए जाते हैं। उनका मुख्य काम प्रधानमंत्री की टीम के एक वरिष्ठ सदस्य के रूप में अपनी भूमिका निभाना होता है।
उत्तराधिकार का अधिकार नहीं: यदि प्रधानमंत्री का पद रिक्त हो जाता है, तो उपप्रधानमंत्री अपने आप प्रधानमंत्री नहीं बन जाते। प्रधानमंत्री का चुनाव पार्टी के सांसदों द्वारा किया जाता है और यह राजनीतिक प्रक्रिया पर निर्भर करता है।
भारत के इतिहास में कई उपप्रधानमंत्री हुए हैं, जिनमें सरदार वल्लभभाई पटेल (पहले उपप्रधानमंत्री), मोरारजी देसाई, चौधरी चरण सिंह और लाल कृष्ण आडवाणी जैसे प्रमुख नाम शामिल हैं। इन सभी नेताओं ने अपने-अपने समय में सरकार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
वर्तमान स्थिति: वर्तमान में, भारत में कोई भी उपप्रधानमंत्री नहीं है। यह पद तब तक खाली रहेगा जब तक सरकार राजनीतिक कारणों से किसी को इस पद पर नियुक्त नहीं करती।
सरदार वल्लभभाई पटेल देश के उप प्रधानमंत्री बनने वाले पहले व्यक्ति थे। वे नेहरू मंत्रिमंडल का हिस्सा थे। उनका कार्यकाल 15 अगस्त, 1947 से 15 दिसंबर, 1950 तक रहा।
सरदार वल्लभभाई पटेल, जिन्हें अक्सर "भारत का लौह पुरुष" कहा जाता है, भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के एक प्रमुख नेता और आधुनिक भारतीय गणराज्य के संस्थापकों में से एक थे। वर्ष 1991 में, उन्हें भारत सरकार ने उनके योगदान को स्मरण करते हुए उन्हें ‘भारत रत्न’ से अलंकृत किया। राष्ट्र के एकीकरण में उनके योगदान के उपलक्ष में उनकी जयंती पर राष्ट्रीय एकता दिवस – National Unity Day : 31 अक्टूबर मनाया जाता है।
देश के दूसरे उप-प्रधानमंत्री हुए मोरारजी देसाई, जो बाद में चलकर भारत के प्रधानमंत्री भी बने। 13 मार्च, 1967 से 19 जुलाई, 1969 तक वे इंदिरा गाँधी की सरकार के दौरान उप-प्रधानमंत्री रहे। मोरारजी देसाई को भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ के साथ-साथ पाकिस्तान के सर्वोच्च सम्मान ‘निशान-ए–पाकिस्तान (Nishan-e-Pakistan)’ से भी सम्मानित किया गया था। ‘निशान-ए–पाकिस्तान’ सम्मान प्राप्त करने वाले वे पहले भारतीय थे।
जब देश में पहली बार जनता पार्टी की सरकार बनी, तब पहली बार दो उप प्रधानमंत्री बनाए गए। उनमें से एक थे जगजीवन राम, तो दूसरे थे चौधरी चरण सिंह। चौधरी चरण सिंह कार्यकाल 24 जनवरी, 1979 से 28 जुलाई, 1979 तक रहा। 28 जुलाई,1979 को कांग्रेस(आई) के सहयोग से वे देश के 5वें प्रधानमंत्री बने। चरण सिंह एकमात्र ऐसे प्रधानमंत्री थे जिन्होंने कभी संसद का सामना नहीं किया।
जगजीवन राम, जिन्हें “बाबू जगजीवन राम” भी कहा जाता था, चौधरी चरण सिंह के साथ-साथ मोरारजी देसाई की सरकार में भारत के उप-प्रधानमंत्री रहे। वे प्रथम दलित उप प्रधानमंत्री थे। बाबू जगजीवन एक राजनीतिज्ञ के अतिरिक्त एक स्वतंत्रता सेनानी और संविधान सभा के सदस्य भी थे।
यशवंतराव चव्हाण (वाई. वी. चव्हाण) 5वें व्यक्ति थे, जो भारत के उप प्रधानमंत्री बने। सन् 1979 में जब चौधरी चरण सिंह देश के प्रधानमंत्री बने तब उन्होंने द्वारा वाई.वी. चव्हाण को अपनी सरकार में उप प्रधानमंत्री बनाया गया। उप प्रधानमंत्री के रूप में यशवंतराव चव्हाण कार्यकाल 28 अगस्त, 1979 से 14 जनवरी, 1980 तक रहा।
चौधरी देवीलाल एकमात्र ऐसे व्यक्ति थे जो दो बार उप प्रधानमंत्री पद पर रहे - पहली बार वी.पी. सिंह सरकार में और दूसरी बार चंद्रशेखर के प्रधानमंत्री कार्यकाल में। चौधरी देवीलाल का जन्म 25 सितंबर, 1914 को वर्तमान हरियाणा के सिरसा जिले के तेजा खेड़ा गांव में हुआ था। उनकी माता का नाम शुगना देवी और पिता का नाम लेखराम सिहाग था।
देवी लाल (पूरा नाम : देवी लाल दयाल) हरियाणा राज्य से किसान नेता के रूप में उभरे और 1977 से 1979 तक और फिर 1987 से 1989 तक हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे। वह इंडियन नेशनल लोकदल के संस्थापक थे। उन्हें लोकप्रिय रूप से ‘ताऊ’ के नाम से जाना जाता था।
लालकृष्ण आडवाणी भारत के सातवें और अंतिम उप प्रधानमंत्री हुए। उप प्रधानमंत्री रूप में उनका यह कार्यकाल 29 जून, 2002 से 22 मई, 2004 तक रहा था। जब अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में एनडीए की सरकार बनी, तब आडवाणी ने गृह मंत्री व उप-प्रधानमंत्री (Deputy Prime Minister) का दायित्व संभाला था। लालकृष्ण आडवाणी का जन्म कराची, वर्तमान पाकिस्तान में, माता-पिता किशनचंद और ज्ञानीदेवी आडवाणी के घर हुआ था। लालकृष्ण आडवाणी को वर्ष 2024 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
सरदार वल्लभभाई पटेल
7 (सात) - seven
वर्तमान सरकार में कोई उपप्रधानमंत्री नहीं है और यह पद 23 मई, 2004 से रिक्त है।
भारत के उप प्रधानमंत्री का कोई निश्चित कार्यकाल नहीं है। वह प्रधानमंत्री की अनुशंसा पर राष्ट्रपति के प्रसादपर्यंत अपने पद पर रहता है।
अंतिम बार लालकृष्ण आडवाणी ने भारत के उप प्रधानमंत्री के रूप में पदभार संभाला था, जिन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी के तहत 2002 से 2004 तक उप प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया।
मोरारजी देसाई