बिहार बंद: महागठबंधन ने Voter Verification के विरोध में रोकी ट्रेनें, हाईवे जाम; जानें क्यों हुआ नुकसान और कब तक सुधरेगी स्थिति

July 09, 2025
बिहार बंद: महागठबंधन ने Voter Verification के विरोध में रोकी ट्रेनें, हाईवे जाम; जानें क्यों हुआ नुकसान और कब तक सुधरेगी स्थिति

बिहार में चुनाव आयोग द्वारा चलाए जा रहे वोटर लिस्ट के विशेष सघन पुनरीक्षण अभियान (Special Intensive Revision – SIR) के विरोध में आज महागठबंधन ने बिहार बंद का आह्वान किया। इस दौरान राज्य के कई शहरों में ट्रेनों का परिचालन बाधित किया गया और प्रमुख हाईवे जाम कर अपना विरोध दर्ज कराया गया।2 यह बिहार बंद ऐसे समय में हुआ है जब सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर 10 जुलाई को सुनवाई होनी है।

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क्यों हुआ 'बिहार बंद'?

वोटर वेरिफिकेशन अभियान को लेकर महागठबंधन और अन्य विपक्षी दल चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगा रहे हैं। उनका कहना है कि:

लाखों मतदाताओं को बाहर करने की साजिश: विपक्ष का आरोप है कि इस विशेष सघन पुनरीक्षण अभियान के जरिए राज्य के 2 से 3 करोड़ गरीब, दलित, पिछड़े और प्रवासी मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट से हटाए जा सकते हैं।4 उनका तर्क है कि जिन 11 दस्तावेजों की मांग की जा रही है, वे अक्सर गरीब और वंचित तबके के लोगों के पास नहीं होते हैं।

  • संविधान और मताधिकार पर हमला: महागठबंधन इसे संविधान विरोधी और लोकतंत्र पर हमला करार दे रहा है। उनका कहना है कि यह प्रक्रिया लोगों को उनके मताधिकार से वंचित करने की एक बड़ी साजिश है।

  • चुनाव से ठीक पहले अभियान: विपक्षी दलों की आपत्ति है कि विधानसभा चुनाव से ठीक पहले इस तरह का पुनरीक्षण अभियान शुरू करना संदिग्ध है, जिससे चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता पर सवाल उठते हैं।

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'बिहार बंद' से क्या नुकसान हुए?

 

बिहार बंद का असर सुबह से ही राज्य के जनजीवन पर व्यापक रूप से देखा गया है:

यातायात ठप: पटना सहित राज्य के विभिन्न जिलों में प्रदर्शनकारियों ने रेलवे ट्रैक और हाईवे जाम कर दिए।6 महात्मा गांधी सेतु जैसे प्रमुख मार्ग भी अवरुद्ध रहे, जिससे सड़क और रेल यातायात पूरी तरह से ठप पड़ गया। यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा और कई लोग बीच रास्ते में ही फंस गए।

  • आर्थिक गतिविधियां प्रभावित: बाजारों और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों पर भी बंद का असर देखने को मिला, जिससे सामान्य आर्थिक गतिविधियां बाधित हुईं।

  • कानून व्यवस्था पर दबाव: प्रदर्शनों को नियंत्रित करने और कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस बल को अतिरिक्त मुस्तैदी दिखानी पड़ी।

कब तक सुधर सकती है स्थिति?

पुलिस ने बताया है कि कानून व्यवस्था पूरी तरह से सामान्य है, लेकिन सड़कों और रेलवे ट्रैक पर प्रदर्शनकारी सुबह से सक्रिय थे। आमतौर पर, इस तरह के बंद या चक्का जाम दोपहर या शाम तक समाप्त हो जाते हैं, जिसके बाद यातायात और जनजीवन धीरे-धीरे सामान्य पटरी पर लौट आता है। हालाँकि, हुए नुकसान की भरपाई में कुछ समय लगेगा। अब सबकी निगाहें 10 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई पर टिकी हैं, क्योंकि कोर्ट का फैसला ही इस वोटर वेरिफिकेशन अभियान के भविष्य को तय करेगा और बिहार की राजनीतिक स्थिति पर सीधा असर डालेगा।∎

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