इंडिया में लोग अक्सर कोर्ट-कचहरी, पुलिस आदि कार्यालयों में घुसने से थोड़ा हिचकिचाते हैं, जिससे वे कई बातों में न्याय नहीं पाते और फिर बस दो चार लोगों को कोश कर बैठ जाते हैं, आमतौर पर यही आसान है...
लेकिन इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको step-by-step समझ देंगे कि यदि ग्राहक होने के नाते आपको किसी भी वस्तु को लेकर किसी भी प्रकार की असंतुष्टि है तो आप किसके खिलाफ रिपोर्ट करें और उसका वापसी भुगतान में आपको क्या-क्या मिलेगा, कैसे मिलेगा? इस पूरे process में ऐसे ही तमाम सवालों के जवाब आपको यहाँ मिलेंगे जिसके बाद आप भी औचित्य प्रमाणों के साथ किसी भी बिसनेस्समैन/कंपनी के गलत व्यवहार या खराब वस्तु को लेकर i'll sue you in court कह सकेंगे।
चलिए जानते हैं step-by-step process
सबसे पहले आप किसी भी step पर जाए बिना सीधे व्यापारी/ सेवा प्रदाता को लिखित रूप से अपनी शिकायत दर्ज करें, और रसीद/टिकट/ई-मेल का रिकॉर्ड संभाल कर रखें। (पहले समाधान का प्रयास जरूरी, कोर्ट में यह प्रूफ दिखाना होगा)।
यदि ग्राहक सेवक आपकी बात नहीं सुने, या समस्या का समाधान करने में असमर्थ रहे तब आप एक लीगल नोटिस (Legal Notice) की ओर बढ़ सकते हैं, लेकिन नोटिस भेजने का रिकार्ड (courier/acknowledgement)अपने पास संभाल कर रखें आगे की प्रक्रिया में इसका इस्तेमाल किया जा सकता है।
हर कोर्ट की अपने एक सीमाएं होती हैं, उसी तरह कन्सूमर कोर्ट तीन तरह के होते हैं आप अपने मामले के हिसाब से फैसला करें कि आप किस कोर्ट में अपना केस दर्ज करना चाहते हैं।
मूल्य/दावे (claim value) के हिसाब से तीन स्तर हैं (नियमित प्रावधान):
जहां आप(उपभोक्ता) रहते हैं, या व्यापारी कार्यालय हो, या फिर जहां वह वस्तु सेवा/खरीदी/उपयोग की गई हो- इनमें से किसी भी स्थान से आप अपना केस दायर कर सकते हैं।
वस्तु/सेवा के उपयोग करने के बाद की 2 साल तक की अवधि में कभी भी आप मामला दायर किया जा सकता है। शिकायत दर्ज करने की अधिकतम अवधि 2 वर्ष हैं, कोर्ट आपके विलंब को माफ कर सकता है यदि आपका कारण उचित हो।
फीस कितनी लगेगी यह बात इसपर निर्भर करेगी कि आपका केस किस तरह का है, यूनिफ़ॉर्म रेंज का उदाहरण (सरल indicative): District में कुछ दायरियों पर ₹100–₹1000 के बीच; State/National में ज़्यादा (₹2,000–₹7,500)। (यह नियम समय-समय पर बदले जा सकते हैं — सही राशि आयोग की साइट से confirm करें)।
Tip: NCDRC की offical साइट पर "perfourma for Filling" उपलब्ध कराया गया है, उसी को फॉलो करें।
अनलाइन शिकायत (Online complaint): आप अपनी शिकायत अनलाइन e-Dakhil पर जा कर दर्ज कर सकते हैं, यहाँ e-hearing जैसी सुविधाएं भी उपलब्ध हैं।(यह तरीका तेज़ व आसान होता है)
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Offline: निकटतम District Commission में plaint-copies और फीस के साथ व्यक्तिगत रूप से जमा कर सकते हैं या पोस्ट कर सकते हैं। 3–5 copies साथ रखें।
जब आप शिकायत दर्ज करेंगे तब कोर्ट आपकी ओर से एक प्रतिवादी (Defendent) को नोटिस भेजता है (या e-Daakhil पर intimation जाता है)। प्रतिवादी से जवाब माँगा जाता है — वे लिखित जवाब देंगे और बहस की तारीख तय होगी।
इस प्रक्रिया में अब आपकी सुनवाई कोर्ट में इस प्रकार से होगी:
आम तौर पर यदि आपकी शिकायत में टेस्टिंग की जरूरत नहीं है तब केस की अवधि 3 महीने की रहती है के लगभग रहने की संभावना है। वहीं अगर केस में टेस्टिंग की आवश्यकता है तब यह सुनवाई 5 महीने तब भी ले सकती है। (न्यूनतम व अधिकतम समय क्रमशः 1 महीने से 2 साल तक रहेगा)
कोर्ट प्रतिवादी (defendent) को आदेश दिया जाता है, जिसमें refund/compensation/interest/costs/injunction का आदेश होगा।
प्रतिवादी यदि आदेश का पालन नहीं करता, तो आयोग उसे लागू करने योग्य आदेश (executive order) के रूप में प्रवर्तन कर सकता है — जैसे संपत्ति कुर्की या वसूली की कार्यवाही।
सहायक लिंक्स:
E-Daakhil / NCDRC pages: e-filing & proforma. NCDRC+1
Centre notification on jurisdiction (pecuniary limits). Press Information Bureau
Sample plaint formats / affidavit examples (state commissions / NCDRC). Scribd+1
Indicative filing fees & slab (reference). icrpc.org+1∎