भारतीय नॉबेल पुरस्कार सूची |
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नाम | क्षेत्र | वर्ष | योगदान |
रवींद्रनाथ ठाकुर (Rabindranath Thakur) | साहित्य | 1913 | 'गीतांजलि' पुस्तक |
सी. वी. रमन (C. V. Raman) | भौतिकी | 1930 | रमन प्रभाव (The Raman effect) |
मदर टेरेसा (Mother Teresa) | शांति | 1979 | मानवीय कार्यों के लिए |
अमर्त्य सेन (Amartya Sen) | आर्थिक विज्ञान | 1998 | कल्याणकारी अर्थशास्त्र (Welfare Economics) |
कैलाश सत्यार्थी (Kailash Satyarthi) | शांति | 2014 | बचपन बचाओ आंदोलन |
हर गोबिंद खुराना (Har Gobind Khorana) | चिकित्सा | 1968 | आनुवंशिक कोड (Genetic Code) |
सुब्रह्मण्यन् चन्द्रशेखर (Subrahmanyan Chandrasekhar) | भौतिकी | 1983 | चंद्रशेखर सीमा (White Dwarf Stars) |
वेंकी रामकृष्णन (Venki Ramakrishnan) | रसायन विज्ञान | 2009 | राइबोसोम (Ribosome) |
अभिजीत बनर्जी (Abhijit Banerjee) | आर्थिक विज्ञान | 2019 | वैश्विक गरीबी को कम करने के लिए प्रयोगात्मक दृष्टिकोण |
रोनाल्ड रॉस (Ronald Ross) | चिकित्सा | 1902 | मलेरिया |
रुडयार्ड किपलिंग (Rudyard Kipling) | साहित्य | 1907 | द जंगल बुक |
भारत के उप प्रधानमंत्री | परमवीर चक्र पुराकृत | भारत रत्न पुरस्कृत | भारत के उप राष्ट्रपति |
नॉबेल पुरस्कार सर्वोच्च अंतर्राष्ट्रीय सम्मान है, यह उन व्यक्ति या संस्थानों को दिया जाता है जिन्होंने गए वर्ष में मानवता के पक्ष में कोई बड़ा लाभ दुनिया के लिए दिया हो। यह पुरुस्कार साहित्य, विज्ञान, और शांति के क्षेत्र में असाधारण योगदान के लिए दिया जाता है।
नॉबेल पुरस्कार स्वीडन के महान वैज्ञानिक और आविष्कारक अल्फ्रेड नॉबेल (Alfred Nobel) की वसीयत के आधार पर दिया जाता है। अल्फ्रेड नॉबेल ने डायनामाइट का आविष्कार किया था।
इसके नाम पढ़ने की कहानी बड़ी रोचक है कि कैसे अल्फ्रेड नॉबेल स्वीडन के एक बहुत बड़े वैज्ञानिक, आविष्कारक और उद्योगपति थे। उन्होंने अपने जीवन में 355 आविष्कार किए, जिनमें सबसे प्रसिद्ध डायनामाइट (Dynamite) था। नॉबेल पुरस्कार का नाम इसके संस्थापक, अल्फ्रेड नॉबेल (Alfred Nobel) के नाम पर पड़ा है।
डायनामाइट के आविष्कार ने उन्हें बहुत अमीर तो बना दिया, लेकिन साथ ही उनका नाम विनाश और युद्ध से भी जुड़ गया, क्योंकि इसका इस्तेमाल खदानों के साथ-साथ युद्धों में भी होने लगा था।
ये जानने की उत्सुकता सभी को होगी कि नॉबेल पुरस्कार कब पहली बार अस्तित्व में आया तो आपको बता दें कि यह पुरस्कार 1985 में जब अल्फ्रेड नॉबेल ने अपनी मृत्यु से एक साल पूर्व वसीयत लिखी। इस वसीयत में उन्होंने कहा कि उनकी विशाल संपत्ति का इस्तेमाल पुरस्कारों की एक श्रृंखला स्थापित करने के लिए करने का निर्देश दिया।
सबसे पहला पुरस्कार किसी एक व्यक्ति या संस्थान को नहीं मिला बल्कि, 1901 अलग अलग क्षेत्र में अलग-अलग लोगों को मिले हैं, जिनमें ये पाँच श्रेणियाँ है-
भौतिकी (Physics): विल्हेम कॉनराड रॉन्टगन (Wilhelm Conrad Röntgen) - जर्मनी
रसायन विज्ञान (Chemistry): जैकोबस हेनरिकस वैंट हॉफ (Jacobus Henricus van 't Hoff) - नीदरलैंड्स
चिकित्सा (Medicine): एमिल वॉन बेह्रिंग (Emil von Behring) - जर्मनी
साहित्य (Literature): सली प्रुधोमे (Sully Prudhomme) - फ्रांस
शांति (Peace): यह पुरस्कार दो लोगों को संयुक्त रूप से दिया गया था।
ऊपर दिए गए मुख्यतः 5 क्षेत्रों(भौतिकी, रसायन विज्ञान, चिकित्सा, साहित्य, शांति) के व्यक्ति अथवा संस्थान को मिलता है, नॉबेल पुरस्कार लेकिन केवल इन्हें ही क्यों? यह सवाल आपके मन में ज़रूर आया होगा? आपको बता दें कि इसके जनक जो अल्फ्रेड नॉबेल हैं उन्होंने अपनी वसीयत में खुद इन क्षेत्रों का उल्लेख कर बताया है साथ ही इसके बाद एक और श्रेणी को और बढ़ाया गया है। जो अर्थशास्त्र है। इस श्रेणी को लेकर तीन बातें जो आपको जननी चाहिए-
केवल 5 क्षेत्रों में ही क्यों यह पुरस्कार दिया जाता है, यह सवाल आपके मन में होगा ही लेकिन आपको बता दें, इसका जवाब अल्फ्रेड नॉबेल की वसीयत में हैं जिसमें उन्होंने बताया है कि किन क्षेत्रों में नॉबेल दिया जाना है।
श्रेणी | दिए गए पुरस्कारों की संख्या | विजेताओं की संख्या (Laureates) | कुछ खास बातें |
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भौतिकी (Physics) | 117 | 225 | नॉबेल की वसीयत में उल्लिखित पहला पुरस्कार। |
रसायन विज्ञान (Chemistry) | 115 | 194 | चार व्यक्तियों ने यह पुरस्कार दो बार जीता है। |
चिकित्सा या शरीर विज्ञान | 114 | 227 | इस श्रेणी में प्रति पुरस्कार सबसे अधिक विजेता हैं। |
साहित्य (Literature) | 116 | 120 | यह पुरस्कार बहुत कम साझा किया जाता है। |
शांति (Peace) | 104 | 141 (112 व्यक्ति, 29 संगठन*) | नॉबेल की समिति द्वारा दिया जाने वाला एकमात्र पुरस्कार। |
आर्थिक विज्ञान | 55 | 93 | 1968 में स्थापित; नॉबेल की मूल वसीयत में नहीं था। |
कुल योग | 621 | 1000 (972 व्यक्ति और 28 संगठन) | कुल विजेता (व्यक्ति + संगठन) |
*इंटरनेशनल कमेटी ऑफ द रेड क्रॉस (ICRC) ने तीन बार और UNHCR ने दो बार यह पुरस्कार जीता है, इसलिए यह पुरस्कार संगठनों को 29 बार दिया गया है, लेकिन केवल 28 अद्वितीय संगठनों को। |
1901 से 2023 के बीच, नॉबेल पुरस्कार 972 व्यक्तियों और 28 अद्वितीय संगठनों को दिए गए हैं।
यह समझना महत्वपूर्ण है कि दिए गए पुरस्कारों की संख्या और विजेताओं (Laureates) की संख्या में अंतर है, क्योंकि एक ही पुरस्कार तीन लोगों तक साझा किया जा सकता है, और कुछ विजेताओं ने एक से अधिक बार पुरस्कार जीता है।
विजेताओं का एक बहुत ही खास समूह है जिन्होंने एक से अधिक बार नॉबेल पुरस्कार जीता है।
व्यक्ति:
मैरी क्यूरी (Marie Curie): 2 बार (भौतिकी 1903, रसायन विज्ञान 1911)
जॉन बारडीन (John Bardeen): 2 बार (भौतिकी 1956 और 1972)
लाइनस पॉलिंग (Linus Pauling): 2 बार (रसायन विज्ञान 1954, शांति 1962) - एकमात्र व्यक्ति जिसने दो अलग-अलग क्षेत्रों में अकेले पुरस्कार जीता।
फ्रेडरिक सेंगर (Frederick Sanger): 2 बार (रसायन विज्ञान 1958 और 1980)
के. बैरी शार्पलेस (K. Barry Sharpless): 2 बार (रसायन विज्ञान 2001 और 2022)
सी. वी. रमन सुब्रह्मण्यन् चन्द्रशेखर के चाचा हैं, दोनों को अपने अपने योगदान के लिए नॉबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया है
संगठन:
इंटरनेशनल कमेटी ऑफ द रेड क्रॉस (ICRC): 3 बार (1917, 1944, 1963)
यूएन हाई कमिश्नर फॉर रिफ्यूजीज (UNHCR): 2 बार (1954, 1981)
महिला नॉबेल पुरस्कार विजेता
2023 तक, नॉबेल पुरस्कार 64 महिलाओं को कुल 65 बार प्रदान किया गया है (मैरी क्यूरी ने दो बार जीता)।
सबसे युवा और सबसे वृद्ध विजेता
सबसे युवा: मलाला यूसुफजई (Malala Yousafzai), जिन्होंने 2014 में 17 साल की उम्र में शांति पुरस्कार जीता था।
सबसे वृद्ध: जॉन बी. गुडइनफ (John B. Goodenough), जिन्होंने 2019 में 97 साल की उम्र में रसायन विज्ञान का पुरस्कार जीता था।
यह सभी डेटा नॉबेल पुरस्कार की आधिकारिक वेबसाइट, nobelprize.org से लिया गया है, और 2023 के पुरस्कारों की घोषणा तक सटीक है।
अब बात करते हैं भारत में किन लोगों नॉबेल पुरस्कार मिला है।
इसमें हम तीन प्रकार से भारतीय लोगों को वर्गीकृत करेंगे जिसमें पहले वे जो पुरस्कार प्राप्त करते समय भारतीय नागरिक थे, दूसरे वे जिनका मूल भारतीय है मगर विदेशी नागरिक है, और तीसरे वे ब्रिटिश भारत में जन्मे विदेशी नागरिक: वे लोग जो 1947 से पहले भारत में पैदा हुए थे, लेकिन नागरिक ब्रिटिश थे।
रवींद्रनाथ ठाकुर एक भारतीय कलाकार का यूं तो भारत के संदर्भ में बहुत महत्व है, जैसे इन्होंने भारत को राष्ट्रगान 'जन गण मन' दिया, जिसे आज हर स्कूल और हर राष्ट्र कार्यक्रम, सिनेमा घरों आदि उन सभी स्थानों पर सम्मान पूर्वक गया जाता है जहां राष्ट्र रूप में कुछ प्रस्तुति हो, या किसी व्यक्ति या संस्थान को राष्ट्र भावना व्यक्त करनी हो। इसके अलावा उन्होंने साहित्य, शिक्षा, समाज सुधार और कला के क्षेत्र अद्वितीय योगदान दिए हैं।
सी. वी. रमन ने दुनिया को रमन प्रभाव(The Raman effect) दिया, इस इफेक्ट में प्रकाश की किरणों के प्रकीर्णन(Scattering of light) को समझाया है। यह खोज विज्ञान के क्षेत्र में भारत की एक बहुत बड़ी उपलब्धि थी। वे विज्ञान में नॉबेल जीतने वाले पहले भारतीय थे।
इस श्रेणी में वे लोग आते हैं जो जन्में तो भारत में ही मगर पढ़ाई आदि कारणों से विदेश में जा बसे और नागरिकता लेली।