हाल ही में लद्दाख की राजधानी लेह में व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए जिनका कारण लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा दिए जाने और संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग है। ये आंदोलन स्थानीय युवाओं, छात्रों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के नेतृत्व में हुआ। पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई और भूख हड़ताल की, ताकि सरकार की ओर से इन मांगों पर ध्यान दिया जाए।
प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा ने स्थिति को और गंभीर बना दिया। प्रदर्शनकारियों ने भाजपा कार्यालय और विभिन्न सरकारी कार्यालयों में तोड़फोड़ की और आग लगा दी। इनमें चार लोगों की मौत हो गई और दर्जनों लोग घायल हुए। पुलिस ने नियंत्रण में लाने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े और लाठीचार्ज भी किया।
लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाए।
लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची के तहत संवैधानिक सुरक्षा दी जाए।
लद्दाख में लोकसभा की सीटों की संख्या बढ़ाकर दो की जाए।
स्थानीय जनजातियों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिया जाए।
🚨 Unthinkable scenes in Leh!
— The Alternate Media (@AlternateMediaX) September 24, 2025
The statehood storm intensifies- protesters torch a CRPF van & BJP office, while Sonam Wangchuk calls for peace.
Who’s fanning the flames- frustration or hidden hands? #LehBurning #LadakhProtests pic.twitter.com/qNlPW6NeuG
केंद्र सरकार ने बातचीत का रास्ता अपनाया है और 6 अक्टूबर को लद्दाख के प्रतिनिधिमंडल के साथ अगली बैठक तय की गई है। हालांकि, आंदोलनकारी तब तक प्रदर्शन जारी रखने पर अड़ गए हैं जब तक उनकी मांगें पूरी न हों। प्रशासन ने कई क्षेत्रों में कर्फ्यू और निषेधाज्ञा लागू की है ताकि स्थिति को नियंत्रण में रखा जा सके।
इस विरोध प्रदर्शन ने लद्दाख की राजनीतिक और सामाजिक स्थिरता के लिए एक बड़ा संकट पैदा कर दिया है। स्थानीय जनता और सरकार दोनों के लिए इसका संतुलन बनाए रखना एक बड़ी चुनौती है।
यह आंदोलन अब एक महत्वपूर्ण मोड़ पर है और इसके समाधान के लिए संवाद और सहयोग जरूरी है ताकि वहां के लोगों के हकों और विकास को सुनिश्चित किया जा सके।
#Ladakh | Curfew as Protesters Demanding Special Constitutional Protections Clash With Police, BJP HQ Vandalised pic.twitter.com/JtT0kIYHo0
— 𝓝𝓱 𝓒𝓲𝓷𝓰 (@NhCing) September 24, 2025