वत्सला अपनी कहानी के अनुसार लगभग 100 + वर्ष की थीं और इन्हें “दादी मां” या “नानी मां” कहकर पुकारा जाता था। उन्होंने कभी संतान नहीं दी, लेकिन अन्य हथिनियों के शावकों की देखभाल में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
वत्सला का जन्म केरल के नीलांबुर जंगलों में हुआ था। 1971 में उन्हें नर्मदापुरम लाया गया और बाद में 1993 में पन्ना टाइगर रिजर्व में स्थानांतरित कर दिया गया।
सक्रिय वर्षों में वत्सला ने लगभग एक दशक तक बाघ ट्रैकिंग और संरक्षण कार्य में मदद की। 2003 में सेवा निवृत्त होने के बावजूद उन्होंने हाथियों के युवा शावकों को संभालकर जंगल में उनकी परवरिश की।
Om Shanti 🙏
— ℙ𝕒𝕨𝕒𝕟 ℙ𝕒𝕥𝕙𝕒𝕜 🇮🇳( परमभैरवयोधः ) (@BharatRakshak18) July 9, 2025
Asia's oldest elephant, Vatsala, died on Tuesday at the Panna Tiger Reserve in Madhya Pradesh at an estimated age of over 100 years. Originally from Kerala, Vatsala was brought to Narmadapuram in 1971 and later shifted to Panna in 1993, where she became a central… pic.twitter.com/u7KsmHZ3Ii
वृद्धावस्था के कारण वत्सला ने अपनी दृष्टि खो दी थी, चलने में कठिनाई होने लगी थी और आगे के पैरों की नाखून टूटने से घायल हुई थीं, जिससे वे हिनौता इलाके में बैठ गई थीं।
उन्हें नियमित रूप से खैरैया नाले में नहलाया गया, पोषक दलिया खिलाया गया और ग्रामीण चिकित्सकीय देखरेख में रखा गया, फिर भी उन्होंने दोपहर के समय अंतिम सांस ली।
पन्ना टाइगर रिजर्व के अधिकारियों, जैसे कि फ़ील्ड डायरेक्टर अंजना सुचिता तिर्की, डिप्टी डायरेक्टर मोहित सूद और वन्य चिकित्सक डॉ. संजीव गुप्ता मौजूद थे।
वत्सला का हिनौटा कैंप में प्रमुख सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया।
Vatsala, the world’s oldest elephant living in Panna Tiger Reserve, has passed away. She was around 106 years old.#wildlife #Elephant #PannaTigerReserve #MadhyaPradesh @ARVINDKAIN4 pic.twitter.com/ybXeQJJ70S
— Sourabh Khandelwal (@sourabhskhandel) July 8, 2025
“वत्सला मात्र हथिनी नहीं थी, हमारे जंगलों की मूक संरक्षक, पीढ़ियों की सखी और मध्यप्रदेश की संवेदनाओं की प्रतीक थीं। उसकी यादें मिट्टी और मन में सदा जीवित रहेंगी।”
जंगल अधिकारी, फोटोग्राफ़र और पर्यटक वत्सला को सिर्फ एक हथिनी नहीं बल्कि एक आत्मीय साथी मानते थे, जिनकी देखभाल, ममता और संघर्ष की कहानी सभी को प्रेरित करती थी।
वत्सला किसी सामान्य हाथी की तरह नहीं थीं—उनका जीवन एक अद्भुत प्रेरणा था। 100+ वर्षों की उम्र, मातृत्व संयम,森林 संरक्षण में योगदान और निस्वार्थ सेवा ने उन्हें PTR की “मूक संरक्षक” और जंगल की ‘दादी’ बना दिया।