सरकारी बंगला खाली करने में देरी पर बोले पूर्व CJI डी. वाई. चंद्रचूड़: बेटियों के 'रेयर डिसऑर्डर' और ICU सेटअप बनी वजह

July 07, 2025
सरकारी बंगला खाली करने में देरी पर बोले पूर्व CJI डी. वाई. चंद्रचूड़: बेटियों के 'रेयर डिसऑर्डर' और ICU सेटअप बनी वजह

सरकारी आवास खाली करने को लेकर चल रहे विवाद के बीच, भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ ने देरी की वजह स्पष्ट की है। उन्होंने बताया है कि उनकी बेटियां एक दुर्लभ बीमारी नेमालाइन मायोपैथी से पीड़ित हैं, जिसके चलते उन्हें घर में ही एक छोटा आईसीयू सेटअप बनाए रखना पड़ा है। इस विशेष जरूरत के कारण नए घर में शिफ्ट होने में उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।

बेटियों की स्वास्थ्य स्थिति और विशेष ज़रूरतें

जस्टिस चंद्रचूड़ ने खुलासा किया कि उनकी गोद ली हुई बेटियां, प्रियंका (16) और माही (14), इस दुर्लभ डिसऑर्डर से ग्रस्त हैं। उन्होंने बताया कि उनकी बेटियों की गरिमा, निजता और जरूरतों का ध्यान रखना आवश्यक है, जैसे कि उनकी व्हीलचेयर के लिए बाथरूम के दरवाजों का आकार। उन्होंने शिमला में एक घटना का भी जिक्र किया, जब उनकी एक बेटी की तबीयत अचानक बिगड़ने पर उन्हें एयरलिफ्ट कर चंडीगढ़ लाना पड़ा था और वह 44 दिनों तक आईसीयू में रही थी। उनकी बेटी अभी भी ट्रैकियोस्टॉमी ट्यूब पर है, जिसे नियमित रूप से साफ करने और बदलने की आवश्यकता होती है।

बंगला खाली करने की प्रक्रिया और बाधाएं

वर्तमान में, जस्टिस चंद्रचूड़ दिल्ली के 5 कृष्णा मेनन मार्ग स्थित टाइप 8 बंगले में रह रहे हैं। उन्होंने बताया कि उन्होंने अपना सारा सामान और फर्नीचर पैक कर लिया है, और केवल रोजमर्रा के इस्तेमाल का सामान बचा है, जिसे दो हफ्तों के भीतर नए सरकारी आवास, तीन मूर्ति मार्ग पर शिफ्ट कर दिया जाएगा।

उन्होंने यह भी बताया कि रिटायरमेंट (नवंबर 2024) के बाद उन्हें आठ महीने हो चुके हैं, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय को आवास खाली करवाने के लिए पत्र लिखा था। जस्टिस चंद्रचूड़ ने स्पष्ट किया कि उन्हें पहले अस्थाई तौर पर टाइप 7 बंगला मिला था, लेकिन उन्होंने सुप्रीम कोर्ट प्रशासन से अनुरोध कर 30 अप्रैल, 2025 तक पुराने बंगले में रहने की अनुमति मांगी थी। उन्होंने यह भी बताया कि उन्हें तीन मूर्ति मार्ग पर मिला नया बंगला पिछले दो साल से खाली था और उसमें काफी काम चल रहा था, जिसे ठेकेदार ने जून तक पूरा करने का वादा किया था। किराए पर घर लेने की कोशिश भी नाकाम रही, क्योंकि कोई भी मालिक इतने कम समय के लिए घर देने को तैयार नहीं हुआ।

पूर्व सीजेआई से भी की थी चर्चा

जस्टिस चंद्रचूड़ ने बताया कि उन्होंने तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश संजय किशन कौल (जिन्होंने जस्टिस संजीव खन्ना के रिटायर होने के बाद कुछ समय के लिए कार्यभार संभाला था) से 28 अप्रैल तक बंगले में रहने का अनुरोध किया था। उन्होंने कहा कि जस्टिस संजय किशन कौल ने उन्हें वहां रहने की अनुमति दी थी, क्योंकि वह स्वयं कृष्णा मेनन मार्ग बंगले में शिफ्ट नहीं हो रहे थे। इसके बाद, जब जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई सीजेआई बने, तो उन्होंने उनसे भी कुछ समय रहने देने का अनुरोध किया और यह भी कहा कि यदि आवश्यक हो तो वह नियम के अनुसार बाजार मूल्य पर बंगले का किराया देने के लिए तैयार हैं।

पूर्व सीजेआई ने दोहराया कि बंगला खाली करने में उनकी ओर से कोई जानबूझकर देरी का इरादा नहीं था, बल्कि उनकी बेटियों की विशेष स्वास्थ्य आवश्यकताएं ही मुख्य कारण थीं।∎

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