ट्रंप-पुतिन बैठक में नहीं हुआ कोई समझौता, भारत के लिए ये हैं संकेत

August 16, 2025
ट्रंप-पुतिन बैठक में नहीं हुआ कोई समझौता, भारत के लिए ये हैं संकेत

अलास्का के एंकोरेज में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की आमने-सामने मुलाक़ात करीब तीन घंटे चली, लेकिन न रूस-यूक्रेन युद्धविराम पर सहमति बन पाई और न कोई ठोस समझौता हो सका।

ट्रंप ने कहा, "कोई समझौता तब तक नहीं होगा, जब तक असल में समझौता नहीं हो जाता।" उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि दोनों देश किसी समझौते तक नहीं पहुंच सके।

पुतिन ने कहा कि संघर्ष को ख़त्म करने के लिए उसके "मूल कारण" दूर करना ज़रूरी है और इस दौरान उन्होंने अगली मुलाक़ात के लिए मॉस्को में मिलने का संकेत भी दिया।

मुलाक़ात के बाद संयुक्त बयान जारी हुआ, लेकिन दोनों नेताओं ने पत्रकारों के सवाल नहीं लिए।

शुरुआती योजना अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति पुतिन के बीच अकेले में मुलाक़ात की थी, लेकिन अंतिम समय पर बदलाव हुआ और वार्ता "थ्री-ऑन-थ्री" फ़ॉर्मेट में हुई। यानी दोनों राष्ट्रपतियों के साथ दो-दो प्रमुख सलाहकार भी मेज़ पर मौजूद थे।

अमेरिका की तरफ़ से विदेश मंत्री मार्को रुबियो और विशेष दूत स्टीव विटकॉफ़ शामिल थे, जबकि रूस की तरफ़ से विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव और विदेश नीति सलाहकार यूरी उशाकोव भी मौजूद थे।

बता दें कि इस वार्ता में यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की या यूक्रेन का कोई प्रतिनिधि शामिल नहीं था, जबकि चर्चा का मुख्य विषय यूक्रेन युद्ध ही था।

ज़ेलेंस्की ने बातचीत से पहले कहा था कि रूस की तरफ़ से युद्ध ख़त्म करने का "कोई संकेत" नहीं है।

ट्रंप-पुतिन मुलाक़ात के कुछ घंटों बाद ज़ेलेंस्की का पहला बयान सामने आया। ज़ेलेंस्की का कहना है कि वह सोमवार को वॉशिंगटन डीसी में राष्ट्रपति ट्रंप से बातचीत के लिए मिलेंगे।

सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स पर एक पोस्ट, बाहरी एक्स पर एक पोस्ट में उन्होंने लिखा, "हमारी राष्ट्रपति ट्रंप से लंबी और सार्थक बातचीत हुई। हमने वन-ऑन-वन बातचीत से शुरुआत की और फिर यूरोपीय नेताओं को इसमें शामिल होने के लिए आमंत्रित किया। यह कॉल डेढ़ घंटे से ज़्यादा चली, जिसमें लगभग एक घंटा राष्ट्रपति ट्रंप के साथ हमारी द्विपक्षीय बातचीत का था।"

उन्होंने आगे लिखा, "हम यूक्रेन, अमेरिका और रूस के बीच त्रिपक्षीय बैठक के राष्ट्रपति ट्रंप के प्रस्ताव का समर्थन करते हैं। यूक्रेन का मानना है कि अहम मुद्दों पर सीधे नेताओं के स्तर पर चर्चा की जा सकती है और इसके लिए ट्राइलेटरल फॉर्मेट सही है।''∎

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