पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने चीन के उन्नत J-35A स्टील्थ फाइटर जेट को खरीदने की अंतरराष्ट्रीय मीडिया रिपोर्ट्स को सिरे से खारिज कर दिया है। उन्होंने इन दावों को मीडिया की अटकलें और चीनी डिफेंस सेल्स के लिए अच्छा प्रचार बताया है। यह बयान ऐसे समय आया है जब हाल ही में ऐसी खबरें सामने आई थीं कि पाकिस्तान, चीन के इस पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान का पहला विदेशी खरीदार बनने जा रहा है।
जून 2025 में, ब्लूमबर्ग और कई अन्य अंतरराष्ट्रीय मीडिया संस्थानों ने दावा किया था कि पाकिस्तान, चीन की शेनयांग एयरक्राफ्ट कॉर्पोरेशन द्वारा निर्मित अत्याधुनिक J-35A स्टील्थ फाइटर जेट हासिल करने वाला पहला देश होगा। इन रिपोर्टों में यह भी बताया गया था कि इन विमानों को PL-17 लंबी दूरी की एयर-टू-एयर मिसाइलों से लैस किया जाएगा और इनकी डिलीवरी अगस्त 2025 तक शुरू हो सकती है। इन दावों के बाद AVIC शेनयांग एयरक्राफ्ट कॉर्पोरेशन के शेयरों में अचानक 10 प्रतिशत का उछाल भी देखा गया था।
अरब न्यूज़ को दिए एक इंटरव्यू में ख्वाजा आसिफ ने इन खबरों को सीधे तौर पर खारिज करते हुए कहा, "हम इन्हें नहीं खरीद रहे हैं।" उन्होंने मीडिया में चल रही अटकलों को केवल "चीनी डिफेंस सेल्स के लिए अच्छा प्रचार" करार दिया।
विश्लेषकों का मानना है कि पाकिस्तान के इस इनकार के पीछे कई रणनीतिक और आर्थिक कारण हो सकते हैं:
भारत से तनाव: मई में भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा पर हुई झड़पों और हवाई हमलों के बाद स्थिति संवेदनशील बनी हुई है। ऐसे में चीन से सीधे तौर पर स्टील्थ फाइटर विमानों की खरीद की पुष्टि करना भारत के लिए सीधा उकसावा माना जा सकता है। इससे दक्षिण एशिया में हथियारों की होड़ तेज होने और भारत के साथ राजनयिक तनाव बढ़ने का खतरा है।
आर्थिक दबाव: पाकिस्तान इस समय अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की सख्त आर्थिक निगरानी में है। ऐसे में अरबों डॉलर के फाइटर जेट खरीदने की बात उसके वित्तीय अनुशासन पर सवाल खड़े कर सकती है। सार्वजनिक रूप से इस डील से इनकार कर पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय समुदाय को यह दिखाना चाहता है कि वह एक जिम्मेदार आर्थिक नीति अपना रहा है, जिससे उसे समर्थन मिलता रहे।
चीन की प्रचार रणनीति: कई विश्लेषकों का मानना है कि यह चीन की सोची-समझी रणनीति का हिस्सा हो सकता था, जिसमें मीडिया के जरिए पाकिस्तान को खरीदार बताकर J-35A को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रमोट किया गया। इसका उद्देश्य मिस्र और अल्जीरिया जैसे अन्य संभावित खरीदारों को आकर्षित करना हो सकता है। दिलचस्प बात यह है कि चीन की ओर से इन रिपोर्टों पर कोई आधिकारिक पुष्टि या खंडन नहीं आया है।
यह फैसला पाकिस्तान की रक्षा खरीद रणनीति में संभावित बदलाव और उसकी आत्मनिर्भरता की दिशा में बढ़ते कदमों का भी संकेत देता है, क्योंकि वह अपने घरेलू लड़ाकू विमान कार्यक्रम पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।∎