गुलज़ारीलाल नंदा भारतीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, राजनेता और दो बार भारत के कार्यवाहक प्रधानमंत्री रहे। वे अपने ईमानदारी, सादगी और प्रशासनिक योग्यता के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने भारतीय राजनीति में एक मजबूत नैतिक आधार प्रस्तुत किया और समाजवाद एवं श्रमिक अधिकारों के पक्षधर थे।
गुलजारीलाल नन्दा का जीवन परिचय - Gulzarilal Nanda Biography
जन्म |
4 जुलाई, 1898 (सियालकोट, पाकिस्तान) |
मृत |
15 जनवरी, 1998 (अहमदाबाद, भारत) |
पद / कार्यालय |
प्रधान मंत्री (1966) , भारत,
प्रधान मंत्री (1964) , भारत
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पुरस्कार और सम्मान |
भारत रत्न (1997) |
भूमिका |
असहयोग आंदोलन |
प्रारंभिक जीवन
- जन्म: 4 जुलाई 1898, सियालकोट (अब पाकिस्तान में)
- शिक्षा: लाहौर, आगरा और इलाहाबाद विश्वविद्यालयों से पढ़ाई कीवे प्रारंभ में अर्थशास्त्र और श्रमिक समस्याओं के विशेषज्ञ थे। उन्होंने बॉम्बे स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में पढ़ाया भी था।
राजनीतिक जीवन

- गुलज़ारीलाल नंदा ने स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भाग लिया। वे महात्मा गांधी के विचारों से प्रभावित होकर 1920 के दशक में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से जुड़े।
- उन्होंने मजदूर संगठनों में कार्य किया और भारतीय ट्रेड यूनियन आंदोलन के महत्वपूर्ण नेता बने।
- 1947 में स्वतंत्रता के बाद, वे नेहरू मंत्रिमंडल में योजना मंत्रालय और श्रम मंत्रालय जैसे विभागों में मंत्री बने।
- 1950 के दशक में उन्होंने रेलवे मंत्री के रूप में कार्य किया।
प्रधानमंत्री पद पर कार्यकाल
गुलज़ारीलाल नंदा दो बार भारत के कार्यवाहक प्रधानमंत्री बने:
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पहला कार्यकाल
- तारीख: 27 मई 1964 – 9 जून 1964
- कारण: पंडित जवाहरलाल नेहरू की मृत्यु के बाद
- उन्हें अस्थायी रूप से प्रधानमंत्री बनाया गया जब तक कि लाल बहादुर शास्त्री को चुना नहीं गया।
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दूसरा कार्यकाल
- तारीख: 11 जनवरी 1966 – 24 जनवरी 1966
- कारण: लाल बहादुर शास्त्री के आकस्मिक निधन के बाद
- इस बार भी वे अंतरिम प्रधानमंत्री बने जब तक कि इंदिरा गांधी को चुना गया।
विशेष योगदान

- उन्होंने श्रमिकों के कल्याण, समाजवाद और औद्योगिक विकास में बड़ी भूमिका निभाई।
- वे योजना आयोग से जुड़े रहे और योजनाबद्ध विकास में विश्वास रखते थे।
- उनके प्रशासनिक कार्यकाल में देश में स्थिरता बनाए रखने में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
सम्मान
- 1997 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया (मरणोपरांत)।
- वे ऐसे राजनेता थे जिन्होंने कभी भ्रष्टाचार का सहारा नहीं लिया और एक आदर्श जननेता माने जाते हैं।
निधन
- तारीख: 15 जनवरी 1998
- वे अपने जीवन के अंतिम दिनों में अत्यंत सादगीपूर्ण जीवन जीते रहे।
गुलज़ारीलाल नंदा भारतीय राजनीति के ऐसे दुर्लभ नेता थे जिनके जीवन में सच्चाई, सेवा और सादगी का संगम था। भले ही वे अल्पकालिक प्रधानमंत्री रहे हों, लेकिन उनका योगदान भारत के लोकतांत्रिक इतिहास में अमिट है।