सुनीता जैन - Sunita Jain

July 11, 2025
सुनीता जैन - Sunita Jain

सुनीता जैन हिंदी और अंग्रेजी साहित्य की एक ऐसी प्रखर लेखिका थीं, जिन्होंने अपनी लेखनी के माध्यम से भारतीय साहित्य को अंतरराष्ट्रीय मंच पर एक नई पहचान दी। उनका जन्म 13 जुलाई 1940 को हुआ था और 11 दिसंबर 2017 को उनका निधन हो गया।

सुनीता जैन का जीवन परिचय - Sunita Jain Biography 

जन्म 13 जुलाई 1941
अंबाला जिला , हरियाणा , भारत
मृत 11 दिसंबर 2017
नई दिल्ली
शिक्षा बीए, एमए, पीएचडी
अल्मा मेटर
  • इंद्रप्रस्थ महिला कॉलेज (बी.ए.)
  • स्टोनी ब्रुक विश्वविद्यालय (एम.ए.)
  • नेब्रास्का-लिंकन विश्वविद्यालय (पी.एच.डी.)
व्यवसाय कवि, लेखक, उपन्यासकार, विद्वान
सक्रिय वर्ष 1962 - 2017
जीवनसाथी आदिश्वर लाल जैन
बच्चे अनु के. मित्तल, रवि के. जैन, शशि के. जैन
पुरस्कार
  • पद्म श्री
  • द वेरलैंड पुरस्कार (1969)
  • मैरी सैंडोज प्रेयरी शूनर फिक्शन पुरस्कार
  • उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान पुरस्कार
  • दिल्ली हिंदी अकादमी पुरस्कार
  • निराला नमित पुरस्कार
  • साहित्यकार सम्मान
  • महादेवी वर्मा सम्मान
  • प्रभा खेतान पुरस्कार
  • ब्राह्मी सुंदरी पुरस्कार
  • सुलोचिनी लेखिका पुरस्कार
  • यूपी साहित्य भूषण पुरस्कार
  • व्यास सम्मान पुरस्कार (2015)
  • डी.लिट. बर्धवान विश्वविद्यालय, 2015

शिक्षा और आरंभिक जीवन

सुनीता जैन का बचपन और शिक्षा भारत में ही हुई, परंतु बाद में वे उच्च शिक्षा के लिए अमेरिका गईं। उन्होंने अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ नेब्रास्का से अंग्रेजी साहित्य में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की।

साहित्यिक योगदान

सुनीता जैन ने हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में लेखन किया। वे एक प्रसिद्ध उपन्यासकार, कवयित्री और अनुवादक थीं। उन्होंने कई उपन्यास, कहानी संग्रह, काव्य संग्रह और अनुवाद ग्रंथों की रचना की। हिंदी साहित्य में उन्होंने नारीवादी दृष्टिकोण से अनेक रचनाएं कीं, जिसमें महिलाओं की सामाजिक स्थिति, उनके अधिकार और संघर्ष की अभिव्यक्ति प्रमुख रूप से दिखाई देती है।

उनकी कुछ प्रमुख कृतियाँ हैं:

  • हिंदी उपन्यास: अनुत्तरित प्रश्न, कहाँ है वो लड़की
  • कहानी संग्रह: नई सदी की कहानियाँ, स्त्री का चेहरा
  • काव्य संग्रह: सपनों की धरती पर, शब्दों के पंख

अनुवाद कार्य

सुनीता जैन ने महादेवी वर्मा और प्रेमचंद जैसे हिंदी साहित्य के स्तंभों की रचनाओं का अंग्रेज़ी में अनुवाद किया, जिससे उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पढ़ा और समझा जा सका।

सम्मान और पुरस्कार

Sunita Jain - Wikipedia

  • साहित्य अकादमी पुरस्कार (2015) – हिंदी कविता के लिए
  • पद्मश्री पुरस्कार (2004) – साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में योगदान के लिए
  • भारतेंदु हरिश्चंद्र पुरस्कार

शिक्षण कार्य

वे आई.आई.टी. दिल्ली के मानविकी विभाग में अंग्रेज़ी की प्रोफेसर और विभागाध्यक्ष रहीं। उन्होंने वहां भी साहित्य और भाषा को लेकर विद्यार्थियों में गहरी रुचि जगाई।

सुनीता जैन एक ऐसी साहित्यकार थीं जिन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से समाज की अनेक परतों को उजागर किया। उनके लेखन में स्त्री की अस्मिता, संघर्ष और आत्मनिर्भरता का स्वर प्रमुख रूप से दिखाई देता है। वे भारतीय साहित्य की ऐसी रचनाकार हैं, जिनकी विरासत आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी रहेगी।

EN