सुनीता जैन हिंदी और अंग्रेजी साहित्य की एक ऐसी प्रखर लेखिका थीं, जिन्होंने अपनी लेखनी के माध्यम से भारतीय साहित्य को अंतरराष्ट्रीय मंच पर एक नई पहचान दी। उनका जन्म 13 जुलाई 1940 को हुआ था और 11 दिसंबर 2017 को उनका निधन हो गया।
जन्म | 13 जुलाई 1941 अंबाला जिला , हरियाणा , भारत |
मृत | 11 दिसंबर 2017 नई दिल्ली |
शिक्षा | बीए, एमए, पीएचडी |
अल्मा मेटर |
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व्यवसाय | कवि, लेखक, उपन्यासकार, विद्वान |
सक्रिय वर्ष | 1962 - 2017 |
जीवनसाथी | आदिश्वर लाल जैन |
बच्चे | अनु के. मित्तल, रवि के. जैन, शशि के. जैन |
पुरस्कार |
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सुनीता जैन का बचपन और शिक्षा भारत में ही हुई, परंतु बाद में वे उच्च शिक्षा के लिए अमेरिका गईं। उन्होंने अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ नेब्रास्का से अंग्रेजी साहित्य में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की।
सुनीता जैन ने हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में लेखन किया। वे एक प्रसिद्ध उपन्यासकार, कवयित्री और अनुवादक थीं। उन्होंने कई उपन्यास, कहानी संग्रह, काव्य संग्रह और अनुवाद ग्रंथों की रचना की। हिंदी साहित्य में उन्होंने नारीवादी दृष्टिकोण से अनेक रचनाएं कीं, जिसमें महिलाओं की सामाजिक स्थिति, उनके अधिकार और संघर्ष की अभिव्यक्ति प्रमुख रूप से दिखाई देती है।
सुनीता जैन ने महादेवी वर्मा और प्रेमचंद जैसे हिंदी साहित्य के स्तंभों की रचनाओं का अंग्रेज़ी में अनुवाद किया, जिससे उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पढ़ा और समझा जा सका।
वे आई.आई.टी. दिल्ली के मानविकी विभाग में अंग्रेज़ी की प्रोफेसर और विभागाध्यक्ष रहीं। उन्होंने वहां भी साहित्य और भाषा को लेकर विद्यार्थियों में गहरी रुचि जगाई।
सुनीता जैन एक ऐसी साहित्यकार थीं जिन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से समाज की अनेक परतों को उजागर किया। उनके लेखन में स्त्री की अस्मिता, संघर्ष और आत्मनिर्भरता का स्वर प्रमुख रूप से दिखाई देता है। वे भारतीय साहित्य की ऐसी रचनाकार हैं, जिनकी विरासत आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी रहेगी।