आयुर्वेद में रोगों को दूर करने के लिए कई तरह की जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता है। इन्हीं में से एक है खूबकला के बीज है।खूबकला के बीज सरसों के बीज जैसे दिखाई देते हैं। इसकी तासीर बेहद गर्म होती है। खूबकला के बीज स्वाद में तीखा होते हैं।
कई लोग भूख न लगने की समस्या से परेशान रहते हैं। इसके लिए वे अलग-अलग तरह के टॉनिक का सेवन करते हैं। आप चाहें तो खूबकला से भी अपनी भूख बढ़ा सकते हैं। खूबकला में भूख बढ़ाने वाले गुण पाए जाते हैं।
आयुर्वेद में टाइफाइड का इलाज करने के लिए खूबकला का उपयोग किया जाता है। टाइफाइड की स्थिति में आप खूबकला का सेवन दो तरह से कर सकते हैं। पहला आप इसे पानी और दूध में पकाकर ले सकते हैं।
खूबकला के बीज आमाशय को भी शक्ति देता है। दूध के साथ खूबकला के बी लेने से शरीर को शक्ति मिलती है। साथ ही इससे शारीरिक कमजोरी भी दूर होती है।
खूबकला पोषक तत्वों से भरपूर होता है। इसके नियमित सेवन से आप अपनी शारीरिक कमजोरी दूर कर सकते हैं। अगर आपका वजन सामान्य से कम है, तो खूबकला का सेवन मुनक्का या दूध के साथ कर सकते हैं।
खांसी और दमा की स्थिति में भी खूबकला का सेवन किया जा सकता है। सामान्य बुखार में भी खूबकला लाभकारी है। खूबकला गले, फेफड़ों में जमा कफ या बलगम निकालने में मदद करता है। गर्म पानी में मुनक्का और खूबकला को पकाकर लेने से सर्दी-जुकाम, खांसी और दमा में आराम मिलता है। खूबकला कफ के कारण पैदा होने वाली समस्याओं को भी दूर करता है।
खूबकला का उपयोग कुपोषण जैसे रोगों को दूर करने के लिए भी किया जाता है। अगर आपका बच्चा कमजोर है, उसका शारीरिक विकास नहीं हो रहा है तो आप उसे डॉक्टर की सलाह पर खूबकला दे सकते हैं। खूबकला के पाउडर को दूध के साथ बच्चों को देने से उनका शारीरिक विकास तेज होता है।
गलत खान-पान और शारीरिक सक्रियता की कमी बवासीर के मुख्य कारण है। यह समस्या काफी पीड़ादायक होती है। आप चाहें तो बवासीर में भी खूबकला का उपयोग कर सकते हैं। खूबकला के बीज का पाउडर बनाएं, इसे पानी या दूध के साथ लें।
खूबकला के बीज का सेवन कई तरह से किया जा सकता है, जैसे कि पाउडर बनाकर, तेल निकालकर, या काढ़ा बनाकर. आप इसे दही, शहद, या अन्य खाद्य पदार्थों के साथ मिलाकर भी खा सकते हैं।