क्या वैध है एक महिला से दो भाइयों का विवाह? जानें हिमाचल की ‘जोडिदारा’ परंपरा

July 21, 2025
क्या वैध है एक महिला से दो भाइयों का विवाह? जानें हिमाचल की ‘जोडिदारा’ परंपरा

हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के शिलाई गांव में हुई इस दुर्लभ विवाह पर हाल की खबर पर आधारित जानकारी हिंदी में दी जा रही है — जहाँ दो भाइयों ने परंपरागत बहुपति विवाह के अंतर्गत एक ही महिला से शादी की। साथ ही बताया गया है कि क्या यह वैध है।

घटनाक्रम क्या हुआ?

  • सुनीता चौहान (कुन्हाट गाँव) ने जुलाई 2025 में प्रदीप नेगी और कपिल नेगी (दोनों भाई, शिलाई गाँव के) से शादी की, जो हट्टा जनजाति का हिस्सा हैं। विवाह 12–14 जुलाई तक तीन दिवसीय समारोह के रूप में हुआ, जिसमें लोक नृत्य‑गीत और भारी संख्या में मेहमान शामिल थे। 
  • सभी तीनों ने जोर देकर कहा कि यह निर्णय पूर्ण सहमति से और बिना किसी दबाव के लिया गया। सुनीता ने खुलकर कहा कि वे परंपरा से परिचित थीं और सभी विकल्पों के बारे में उन्हें पूरी जानकारी थी।

यह प्रथा क्या है — ‘जोडिदारा’?

  • इस विवाह को स्थानीय रूप से “जोडिदारा” (जिसे कभी-कभी "उजला पक्ष" या "द्रौपदी प्रथा" भी कहा जाता है) कहा जाता है। इसमें भाइयों के बीच विवाह साझा होता है और एक ही महिला से शादी होती है।
  • इस प्रथा का उद्देश्य वंशानुगत जमीन के विभाजन को रोकना, संयुक्त परिवार को बनाए रखना, और हिमाली क्षेत्रों में सामाजिक‑आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित करना है।
  • पत्नी समय‑समय पर भाइयों में से प्रत्येक के साथ रहती है (रोटेशन सिस्टम), और परिवार सामूहिक रूप से बच्चों की देखभाल करता है। आम तौर पर, सबसे बड़े भाई को कानूनी रूप से पिता के रूप में दर्ज किया जाता है, जबकि सभी भाई अभिभावक की भूमिका निभाते हैं।

क्या यह वैध है?

  • ज़्यादातर भारतीय कानूनों के अनुसार बहुपति विवाह (polyandry) अवैध है — भारतीय विवाह अधिनियम (Hindu Marriage Act, 1955) के अंतर्गत ऐसा वैध नहीं माना जाता। परंतु, हिमाचल प्रदेश की राजस्व और सामुदायिक प्रथाओं ने ‘जोडिदारा’ को मान्यता दी है।
  • हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने इस प्रथा को आदिवासी रीति‑रिवाज का हिस्सा मानकर संरक्षण देने वाले निर्णय लिए हैं, जिसे स्थानीय रूप से 'जोडिदार लॉ' कहा जाता है। यह विशेषकर हट्टा जनजाति के सन्दर्भ में मान्य है, जिन्हें अनुसूचित जनजाति का दर्जा प्राप्त है।
  • इन समुदायों में कई मामले खुले रूप से संपन्न होते रहे हैं — पिछले छह वर्षों में ही ट्रांस‑गिरि क्षेत्र के कुछ गाँवों में कई ऐसे विवाह दर्ज किए गए हैं।
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