नितिन गडकरी का बड़ा बयान: जनता को लुभाने की राजनीति मंत्रियों को जनहित के काम से रोकती है

July 14, 2025
नितिन गडकरी का बड़ा बयान: जनता को लुभाने की राजनीति मंत्रियों को जनहित के काम से रोकती है

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने भारतीय राजनीति और शासन-प्रशासन के संबंध में एक बेहद तीखी और महत्वपूर्ण टिप्पणी की है। उन्होंने कहा है कि कई बार सरकार में बैठे मंत्री भी वे काम नहीं कर पाते हैं, जो अदालत के आदेश पर हो जाते हैं। यह बयान राजनीति में लोकप्रियतावाद (populism) की चुनौतियों और जनहित के फैसलों को लेने में आने वाली बाधाओं को उजागर करता है।

जनहित बनाम जनता को लुभाने की राजनीति

गडकरी ने अपने बयान में स्पष्ट रूप से कहा कि मंत्रियों के लिए जनहित में कड़े और unpopular (अलोकप्रिय) कदम उठाना मुश्किल हो जाता है, क्योंकि वे जनता को लुभाने की राजनीति के दबाव में होते हैं। उनके अनुसार, यह राजनीति नेताओं और मंत्रियों के आड़े आती है और उन्हें बड़े सुधार या कठिन फैसले लेने से रोकती है, भले ही वे जनहित में हों।

उन्होंने अदालतों की भूमिका को रेखांकित करते हुए कहा कि अदालतें ऐसे आदेश दे पाती हैं, क्योंकि वे चुनावी राजनीति के सीधे दबाव में नहीं होतीं। यह एक मंत्री द्वारा सरकार के भीतर की मजबूरियों और चुनावी दबावों को स्वीकार करने जैसा है, जो आमतौर पर सार्वजनिक मंच पर कम ही देखने को मिलता है।

बयान के सियासी मायने

नितिन गडकरी का यह बयान ऐसे समय में आया है जब देश में नीति निर्माण और उसके क्रियान्वयन में राजनीतिक इच्छाशक्ति पर अक्सर सवाल उठते रहते हैं। उनके इस कथन को विभिन्न तरीकों से देखा जा सकता है:

  • यह भारतीय राजनीति में लोकप्रियतावाद की बढ़ती प्रवृत्ति पर एक ईमानदार टिप्पणी है।

  • यह कहीं न कहीं अदालतों के सक्रिय हस्तक्षेप (judicial activism) को अप्रत्यक्ष रूप से सही ठहराता है, क्योंकि उनके फैसलों पर राजनीतिक दबाव नहीं होता।

  • यह सरकार के भीतर की आंतरिक चुनौतियों और नेताओं के सामने आने वाली दुविधाओं को भी उजागर करता है।

गडकरी, जो अपने बेबाक बयानों के लिए जाने जाते हैं, का यह बयान निश्चित रूप से राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बनेगा और शासन-प्रशासन की चुनौतियों पर नई बहस छेड़ सकता है।∎

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