मनोज कुमार: भारतीय सिनेमा के ‘भारत कुमार’

July 21, 2025
मनोज कुमार: भारतीय सिनेमा के ‘भारत कुमार’

मनोज कुमार, जिनका असली नाम हरिकिशन गिरि गोस्वामी है, हिंदी सिनेमा के एक ऐसे महान अभिनेता, निर्देशक और पटकथा लेखक हैं जिन्होंने देशभक्ति पर आधारित फिल्मों के ज़रिए भारतीय सिनेमा में एक अमिट छाप छोड़ी है। उन्हें भारतीय जनता ने 'भारत कुमार' की उपाधि दी, जो उनके देशप्रेम को दर्शाती है।

मनोज कुमार का जीवन परिचय - Manoj Kumar Biography 

जन्म हरिकृष्ण गिरि गोस्वामी
24 जुलाई 1937
ऐब्टाबाद, उत्तर-पश्चिम सीमांत प्रांत, ब्रिटिश भारत
(वर्तमान ख़ैबर पख़्तूनख़्वा, पाकिस्तान)
मौत 4 अप्रैल 2025
मुम्बई, महाराष्ट्र, भारत
राष्ट्रीयता भारतीय
पेशा अभिनेता, फ़िल्म निर्देशक, फ़िल्म निर्माता, पठकथा लेखक, संगीतकार, सम्पादक, राजनेता
कार्यकाल 1957–1999
ऊंचाई 6 फीट 1 इंच (1.85 मी॰)
राजनैतिक पार्टी भारतीय जानता पार्टी
जीवनसाथी शशी गोस्वामी
बच्चे 2; कुणाल गोस्वामी सहित
संबंधी मनीष आर गोस्वामी (भाई)

प्रारंभिक जीवन और करियर की शुरुआत

मनोज कुमार का जन्म 24 जुलाई 1937 को अविभाजित भारत के एबटाबाद (अब पाकिस्तान में) हुआ था। विभाजन के बाद उनका परिवार दिल्ली आ गया। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक की पढ़ाई की और फिल्मों में अभिनय करने का सपना देखा।

राज कपूर की फिल्म बरसात देखने के बाद वे फिल्मों की दुनिया की ओर आकर्षित हुए और अपना स्क्रीन नाम 'मनोज कुमार' रख लिया, जो कि दिलीप कुमार के एक किरदार से प्रेरित था।

अभिनय करियर

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मनोज कुमार ने 1957 में फिल्म ‘फैशन’ से अभिनय की शुरुआत की, लेकिन उन्हें असली पहचान 1964 की फिल्म ‘हिमालय की गोद में’ से मिली। इसके बाद उन्होंने कई हिट फिल्मों में काम किया जैसे:

  • वो कौन थी (1964)
  • हरियाली और रास्ता (1962)
  • गुमनाम (1965)
  • पत्थर के सनम (1967)
  • नील कमल (1968)

देशभक्ति की मिसाल: 'भारत कुमार'

मनोज कुमार की विशेष पहचान देशभक्ति आधारित फिल्मों से बनी। उन्होंने ऐसी फिल्मों में अभिनय और निर्देशन किया जो स्वतंत्रता संग्राम, राष्ट्रप्रेम और सामाजिक मूल्यों पर आधारित थीं। उनकी प्रमुख देशभक्ति फिल्में हैं:

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  • शहीद (1965): भगत सिंह के जीवन पर आधारित
  • उपकार (1967): 'जय जवान, जय किसान' के विचार पर बनी फिल्म
  • पूरब और पश्चिम (1970): भारतीय संस्कृति और पाश्चात्य प्रभाव की तुलना
  • रोटी कपड़ा और मकान (1974): सामाजिक असमानता और बेरोज़गारी पर आधारित
  • क्रांति (1981): ब्रिटिश शासन के खिलाफ क्रांति की कहानी

निर्देशक और लेखक के रूप में योगदान

मनोज कुमार न केवल अच्छे अभिनेता रहे, बल्कि उन्होंने सफल फिल्मों का निर्देशन और लेखन भी किया। ‘उपकार’ के निर्देशन के लिए उन्हें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला और इस फिल्म ने उन्हें राष्ट्रभक्त अभिनेता-निर्देशक के रूप में स्थापित किया।

सम्मान और पुरस्कार

THROWBACK: When Late Actor Manoj Kumar Reacted Hilariously To Winning The  Dadasaheb Phalke Award- 'People Should Be Fooled In April…'

मनोज कुमार को उनके योगदान के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया, जिनमें शामिल हैं:

  • पद्म श्री (1992)
  • दादा साहेब फाल्के पुरस्कार (2015)
  • राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार
  • फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड

निजी जीवन और विरासत

मनोज कुमार ने फिल्मों से धीरे-धीरे दूरी बना ली और सार्वजनिक जीवन से भी लगभग अलग हो गए। लेकिन उनकी बनाई गई फिल्मों की प्रेरणा आज भी युवा पीढ़ी के लिए मार्गदर्शक है। उनका नाम भारतीय सिनेमा में एक ऐसे कलाकार के रूप में लिया जाता है जिसने राष्ट्रप्रेम को कला में बदल दिया।

मनोज कुमार सिर्फ एक अभिनेता नहीं, बल्कि भारत के उन कलाकारों में से एक हैं जिन्होंने अपने सिनेमा के ज़रिए राष्ट्र की भावना को घर-घर पहुंचाया। उनका नाम सदा भारतीय सिनेमा के स्वर्णिम पन्नों में अंकित रहेगा।

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